लखनऊ.भारत माता की जय बोलने पर विवाद बढ़ता जा रहा है। इस्लाम से जुड़े लोगों के लिए भारत माता की जय बोलना गुनाह है। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के फतवे को सही ठहराया।
बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी का कहना है कि फतवा एक राय होता है। आजकल भारत माता की तस्वीर लगी चीजें सरकुलेट की जा रहा है जिसमें एक देवी बनी हुई है। जिलानी का कहना है कि इस्लाम में किसी देवी देवता की तस्वीर की जय नहीं बोल सकते। इसमें कोई दो राय नहीं। उन्होंने साफ़ कर दिया है की फतवे में कहा गया है कि मुसलमान सिर्फ खुदा में विश्वास रखता है। संविधान ने सबको मजहबी आजादी दी है। भारत हमारा वतन है और हम भी इस देश को मुहब्बत करते हैं। पर देश को देवी-देवता नहीं मान सकते। इसमें यह भी कहा गया है कि किसी को हक नहीं कि वह किसी की मजहबी आजादी छीने।
भारत माता की जय गैर इस्लामिक शब्द
दारुल उलूम ने ‘भारत माता की जय’ के नारे को गैर इस्लामिक बताया। जिस तरह मुसलमान वंदे मातरम नहीं बोल सकते, उसी तरह ‘भारत माता की जय’ बोलना जायज नहीं है।
मुसलमान पूछ रहे भारत मात की जय बोलें?
दरअसल, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के भारत माता की जय के नारे पर बयान के बाद से ही दारुल उलूम के मुफ्तियों से सवाल किए जा रहे थे। बताया जा रहा है कि इस बारे मे संस्थान को हजारों खत मिलें। जिसमें पूछा जा रहा था कि मुसलमान भारत माता की जय बोल सकते हैं या नहीं। इसको देखते हुए संस्थान ने इस्लामिक विद्वानों की बैठक बुलाई थी। जिसके बाद यह फतवा जारी किया गया। देवबंद के मुफ़्ती-ए-कराम ने फतवे में कहा की मुस्लिम अल्लाह की मुस्लिम अल्लाह के अलावा किसी की इबादत नहीं कर सकते। भारत मात की जय नारा किसी पूजा की तरह है। इसलिए इसकी जय नहीं बोल सकते।
यह है भारत माता की जय बोलने का विवाद
एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने एक सभा में कहा था कि अगर उनकी गर्दन पर चाकू भी रख दिया जाए, तब भी वह ‘भारत माता की जय’ नहीं बोलेंगे।’ इसके बाद से ही देश भर में इस नारे को लेकर बहस शुरू हो गई।
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