63 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे का हो रहा निर्माण
लगभग 63 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण से यात्रा का समय तो कम होगा ही, साथ ही यह पर्यटन, व्यापार और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को भी बढ़ावा देगा। इसके जरिए पर्यटक और व्यावसायिक वाहन एक शहर से दूसरे शहर तक आसानी से और तेज़ी से पहुंच पाएंगे। इससे क्षेत्रीय विकास को गति मिलने की उम्मीद है।
एक्सप्रेस-वे का 18 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड होगा
कानपुर एक्सप्रेस-वे का 18 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड होगा, जबकि 45 किलोमीटर ग्रीन फील्ड होगा। एलिवेटेड रूट कानपुर हाईवे पर तैयार किया जा रहा है, जबकि बाकी का हिस्सा ग्रीन फील्ड रोड के रूप में विकसित हो रहा है। इस परियोजना में तीन बड़े पुल, 28 छोटे पुल, 38 अंडरपास और छह फ्लाईओवर बनाए जा रहे हैं। परियोजना निदेशक सौरभ चौरसिया के अनुसार, 75 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और उम्मीद जताई जा रही है कि जून तक एक्सप्रेसवे का निर्माण पूरा हो जाएगा।
लखनऊ रिंग रोड से भी जुड़ेगा एक्सप्रेस-वे
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे को लखनऊ रिंग रोड से भी जोड़ा जाएगा, ताकि कानपुर हाईवे पर ट्रैफिक का दबाव कम किया जा सके। यह एक्सप्रेसवे लखनऊ में शहीद पथ से शुरू होकर नवाबगंज, बंथरा, बनी, दतौली कांठा, तौरा, नेओरना, अमरसास और रावल मार्ग के जरिए कानपुर तक पहुंचेगा।
120 की रफ्तार से दौड़ेंगे वाहन
बनी से उन्नाव तक 45 किलोमीटर लंबी 06 लेन की सड़क बनेगी। एक्सप्रेस-वे पर अधिकतम 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार वाहन दौड़ सकेंगे। एक्सप्रेस-वे के निर्माण की योजना की शुरुआत इस इलाके में औद्योगिक विकास को रफ्तार मिलेगी। इन 14 गांवों से गुजरेगा एक्सप्रेस-वे
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे से लखनऊ के 14 गांव लिंक होंगे। इन गांवों के रास्तों से एक्सप्रेस वे गुजरेगा। इनमें अमौसी, बनी, बंथरा, सिकंदरपुर, बेहसा, फरुखाबाद, चिल्लावां, गहरू, गौरी, खांडेदेव, मीरनपुर पिनवट, नटकुर और सराय शहजारी गांव शामिल हैं।