स्त्रियों की आम समस्याओं पर लिखा
उन्होंने लोगों की धार्मिक आस्था व स्त्रियों की आम समस्याओं पर भी काफी कुछ लिखा है। नोबेल पुरस्कार के लिए उनका चयन करने वाली समिति ने उन पर विचार व्यक्त करते हुए कहा, अंडसेट का लेखन ठोस ऐतिहासिक ज्ञान, गहरी मनोवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि, शानदार कल्पना और सशक्त भाषा के साथ मध्ययुगीन काल को जीवंत करता है। नाजी कब्जे का मुखर विरोध
सिग्रिड का जन्म डेनमार्क में हुआ था और लालन पालन नार्वे में हुआ। उनकी पहली पुस्तक 1907 में प्रकाशित हुई जो एक ऐतिहासिक कहानी थी। 1940 में उन्हें नार्वे से यूएस भागना पड़ा क्योंकि वे नार्वे पर नाजी कब्जे का मुखर विरोध करने वाली महिला थीं। लेकिन 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद वे वापस नॉर्वे लौट आईं। उनकी सबसे लोकप्रिय पुस्तक क्रिश्टीन लैवरांसडेटर है जो मध्य युग में नार्वे की महिलाओं की जिंदगी पर आधारित है। इस पुस्तक के तीन खंड 1920 से 1922 के बीच प्रकाशित हुए।सचिव के पद पर नौकरी
एक इंजीनियरिंग की कंपनी में 16 वर्ष की उम्र में उन्होंने सचिव के पद पर नौकरी की जहां वे लगातार 10 वर्ष तक कार्यरत रहीं। उनकी अन्य पुस्तकें ‘द गुन्नार’स डॉटर, कैथरीन ऑफ सिएना, जेनी, ओलाव, ओडूसान, द स्नेक पिट, द सन एवेंजर, इन द वाइल्डरनेस, मार्टा औली, इडा एलिजाबेथ, हैप्पी टाइम्स इन नॉर्वे, द मास्टर ऑफ हेस्ट वीकैन , द वाइल्ड ऑर्किड, प्रिनटेम्स आदि भी लोकप्रिय हुई। नोबेल पुरस्कार की राशि को उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फिनिश शरणार्थियों के हितों के लिए दान कर दिया था। 67 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।