स्मार्टफोन कैमरे के जरिए कोरोना जांच की जा सकने वाली इस नई तकनीक में CRISPR का इस्तेमाल कर सीधे वायरल आरएनए का पता लगाया जाता है। इस बारे में अमरीका के ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट की वरिष्ठ शोधकर्ता जेनिफर डाउडना का कहना है कि हम CRISPR बेस्ड टेस्ट को लेकर इसलिए उत्साहित हैं क्योंकि यह जरूरत के समय जल्द एवं सही रिजल्ट देता है।
डाउडना का कहना है कि यह तकनीक यह तकनीक उन स्थानों के लिए ज्यादा उपयोगी साबित हो सकती है, जहां जांच की पहुंच सीमित है। साथ ही उन स्थानों के लिए भी उपयोगी है, जहां बार—बार तेजी से जांच की जरूरत पड़ रही है। वहीं रिसर्च में पता चला है कि नए उपकरण ने पांच मिनट के अंदर पॉजिटिव नमूनों का सही-सही पता लगा लिया।
डाउडना का कहना है कि यह नई तकनीक कोविड-19 को लेकर आ रही कई बाधाओं को दूर कर सकता है। बता दें कि डाउडना को सीआरआईएसपीआर-सीएएस जीनोम एडिटिंग (CRISPR-Cas genome editing) के लिए 2020 में रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार भी मिला है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस नई तकनीक में स्मार्टफोन कैमरा एक माइक्रोस्कोप की तरह काम करता है। यह कैमरा एक रोशनी के जरिए पता लगाकर यह मालूम कर लेता है कि टेस्ट पॉजिटिव है या नेगेटिव। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगगर इस तकनीक को विभिन्न प्रकार के मोबाइल फोन के अनुकूल बनाया जाता है तो यह तकनीक आसानी से सुलभ हो सकती है।