बता दें कि भारत में कंटेंट रेगूलेट करने के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, द न्यूज ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन, द एडवरटाइसिंग स्टेंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया और सेंटल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन जैसे निकाय हैं। व्यापार का आवंटन निमय 1961 के कानून में संशोधन किए गए हैं। संशोधन के अनसार अब स्ट्रीमिंग सर्विस, ऑनलाइन फिल्म और ऑडियो-विजुअल प्रोग्राम, ऑनलाइन न्यूज और दूसरे कंटेंट केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत आएंगे।
बता दें कि करीब एक महीने पहले उच्चतम न्यायालय ने एक जनहित याचिका केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया था। इस याचिका में एक स्वायत प्राधिकार द्वारा ओटीटी प्लेटफॉर्म के नियमन का अनुरोध किया गया था। वहीं सरकारी की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि भारत सरकार कार्य आवंटन नियमावली, 1961 में दूसरी अनुसूची में सूचना और प्रसारण शीर्षक के तहत प्रविष्टि 22 के बाद निम्न उप शीर्षक और प्रविष्टियों को जोड़ा जाए। इनमें डिजिटल/ऑनलाइन मीडिया। ऑनलाइन सामग्री प्रदाताओं द्वारा उपलब्ध फिल्म और दृश्य श्रव्य कार्यक्रम। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर समाचार एवं समसामयिकी से संबंधित सामग्री शामिल है।
सरकार के इस फैसले पर हंसल मेहता, रीमा कागती जैसे लेखकों और निर्देशकों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाए जाने के निर्णय से भारतीय कंटेंट क्रिएटरों को नुकसान हो सकता है। साथ ही इससे निर्माताओं और दर्शकों की रचनात्मक एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है।