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महरौनी ब्लॉक के रहने वाले 28 वर्षीय चंद्रभान बताते हैं कि उनके छोटे भाई गोविंद के बच्चे की पीठ पर जन्म से ही गांठ जैसा उभार था। डॉक्टरों ने कहा कि बच्चेे की तंत्रिका नली में समस्या है, जिसे मेडिकल भाषा में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट कहा जाता है। डॉक्टर ने बच्चे को जिला चिकित्सालय भेजा, जहां उसकी जांच से पुष्टि हुई कि बच्चा न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से ग्रसित है। परिजन गरीबी से जूझ रहे मां-बाप बेटे के इलाज के लिए परेशान थे। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में उन्हें पता चला। आरबीएसके के तहत झांसी के मेडिकल कॉलेज में बच्चे को भर्ती कराया गया, जहां उसका नि:शुल्क इलाज हुआ।राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डॉ. रूपेश श्रीवास्तव ने बताया कि न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट दिमाग, स्पाइनल कॉर्ड और रीढ़ की हड्डी की जन्मजात विकृति है। यह तब दिखता है, जब दिमाग और रीढ़ की हड्डी में ऐसा विकार बन जाए कि यह पूर्ण रूप से बंद होने में विफल हो जाए। न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट गर्भावस्था के पहले 5 हफ्तों में ही हो जाता है। यह बहुत ही गंभीर जन्मजात रोग है। उन्होंने बताया कि अगर इसके इलाज की शुरुआत बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर न हो तो बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। अगर बच्चे का सही समय पर इलाज़ न हुआ और तब भी जान बच गई तो वह विभिन्न प्रकार की शारीरिक अथवा मानसिक विकलांगता का शिकार हो सकता है।
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न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट की ऐसे पहचान करेंबच्चे के शरीर, खासकर सिर या पीठ गांठ दिखे तो उसे तत्काल बच्चे को दिखाएं। उभार का रंग और आकार देखें। साथ ही देखें कि सूजन (गांठ) से कोई स्राव/रक्तश्राव तो नहीं हो रहा। बच्चे के पैर ठीक से काम करते हैं या नहीं। यह भी देखे कि उसे दस्त सही हो रहे हैं या नहीं। यह लक्षण दिखें तो बच्चे को न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट हो सकता है।