बॉम्बे ब्लड ग्रुप: बारां की मनभर के लिए पुणे से फ्लाइट में कोटा आया खून
क्या होता है बॉम्बे ब्लड गु्रप
Bombay Blood Group ‘ओ’ पॉजिटिव रक्त समूह से एक ऐसा दुर्लभ रक्त समूह है जो लाखों लोगों में से किसी एक में पाया जाता है। इस रक्त समूह को रेयर ऑफ द रेयरेस्ट रक्त समूह भी कहते है। यह सिर्फ अपने ही Blood Group यानी एचएच ब्लड टाइप वालों से ही ब्लड ले सकता हैं। भारत में इस ब्लड गु्रप के 279 सदस्य हैं। इस ब्लड ग्रुप के शख्स किसी भी एबीओ फेनोटाइप रिम में आने वाले सदस्य को रक्त दे सकते हैं, लेकिन खुद के लिए रक्त लेना संभव नहीं है। वे सिर्फ अपने ग्रुप के सदस्यों का ही रक्त ले सकते है।
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दुर्लभ है यह ब्लड ग्रुप
बॉम्बे ब्लड ग्रुप को Rare of the Rarest Blood group माना जाता है। विश्व की कुल जनसंख्या में सिर्फ 0.0004 फीसदी लोगों में ही यह ब्लड पाया जाता है। इसे सबसे पहले साल 1952 में डॉक्टर वाई जी भिड़े ने खोजा था। मरीज के लिए इस ब्लड ग्रुप का इंतजाम करना काफी मुश्किलभरा रहता है। कई बार यह ग्रुप का इंतजाम करने में ही इतना समय बीत जाता है की मरीज की जान तक चली जाती है।
भारत से म्यांमार पहुंचा था बॉम्बे ब्लड ग्रुप
गत वर्ष म्यांमार में दिल की सर्जरी के लिए एक &4 वर्षीय महिला को खून की जरूरत थी। उसके ब्लड ग्रुप का ब्लड मिलना काफी दुर्लभ था। म्यांमार में महिला के ग्रुप का ब्लड काफी खोजा गया लेकिन निराश ही हाथ लगी। फिर मीलों दूर भारत की तरफ से मदद का हाथ बढ़े। बेंगलुरु के देवनगरे ब्लड बैंक ने दुर्लभ bombay blood group खून की दो यूनिट कूरियर के जरिए म्यांमार भेजीं। तब जाकर महिला की जान बच सकी। बेंगलुरु की संकल्प इंडिया फाउंडेशन बॉम्बे ब्लड ग्रुप की एक एक्सक्लूसिव रजिस्ट्री चलाता है। यह फाउंडेशन दुर्लभ ब्लड ग्रुप की यूनिट्स का इंतजाम करता है और जरूरतमंदों को पहुंचाता है। इसी के जरिए म्यांमार के डॉक्टरों ने फाउंडेशन से सम्पर्क कर खून मंगवाया था।