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शैक्षणिक सत्र 2011-12 में कोटा विश्वविद्यालय छात्रसंघ अध्यक्ष सौरभ खांडल ने विवि प्रशासन से स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित करने की मांग की थी। तत्कालीन कुलपति प्रो. मधुसूदन शर्मा ने बजट न होने की बात कह इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद सौरभ ने विवेकानंद स्मारक संघर्ष समिति गठित कर करीब 2 लाख रुपए का चंदा जुटाया। इसमें से प्रतिमा बनाने के लिए सवाई माधोपुर के मूर्तिकार को 1.40 लाख रुपए का भुगतान किया गया और शेष 60 हजार रुपए संस्था पंजीकरण, व्याख्यान-सेमिनार आदि पर खर्च हुए।
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4 साल बाद आई सुध
सौरभ के शहर छोडऩे के साथ ही विवि प्रतिमा को भूल गया। एबीवीपी के अश्विनी कुमार जब विभाग संगठन मंत्री बनकर कोटा आए तो उन्होंने फिर से ‘प्रतिमा आंदोलन छेड़ा और 4 साल बाद विवि प्रशासन मूर्ति लगाने को राजी हो गया। इसके लिए 11 लाख रुपए का बजट तय किया। करीब डेढ़ लाख रुपए मूर्तिकार का बकाया चुकाने, 5.5 लाख पेडेस्टल बनाने और ३ लाख मूर्ति स्थापना समारोह पर खर्च किए गए।
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फिर रातों रात लगाई प्रतिमा
मार्च 2016 में हुए विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में राज्यपाल कल्याण सिंह ने आने की अनुमति तो दे दी थी, लेकिन उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में जाने से इनकार कर दिया था। उन्हें कैंपस में बुलाने के लिए विवि ने स्वामी विवेकानंद का सहारा लिया और रातों-रात मूर्ति स्थापित करा दी, लेकिन इस मूर्ति को देखने के बाद तत्कालीन छात्रसंघ महासचिव सागर जोशी ने कार्यक्रम का विरोध किया। दरअसल, जो मूर्ति लगाई गई थी वह स्वामी विवेकानंद की छवि से मेल नहीं खा रही थी। विवाद बढ़ा तो मूर्तिकार को बुलाया गया। उसने फिनिशिंग के 50 हजार रुपए और मांगे, लेकिन विवि इसके लिए राजी नहीं हुआ।
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अब फिर खर्च होंगे 10 लाख रुपए
अनावरण के बाद मूर्ति के स्वामी विवेकानंद की छवि से मेल खाता न देख राज्यपाल कल्याण सिंह खासे नाराज हुए थे। उस समय सफाई दे रहे विवि के अफसरों ने अब 20 महीने बाद मूर्ति को बदलने का फैसला लिया है। इंदौर की फर्म को 10 लाख रुपए में ब्रॉन्ज की मूर्ति बनाने का ठेका दिया गया है। फर्म को 2 महीने में मूर्ति बनाकर स्थापित करनी होगी।
कोटा विवि के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सौरभ खांडल ने बताया कि ढाई लाख रुपए के लिए मना करने वाला कोटा विश्वविद्यालय मूर्ति स्थापित करने पर २१ लाख रुपए फूंकेगा। पुरानी मूर्ति को पॉलिश करने और छवि मिलान पर ५५ हजार रुपए ही खर्च होने थे, फैसला छात्रों के पैसे की बर्बादी है।