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कोटा

गेहूं बेचने के लिए भगवान का भी जनआधार कार्ड मांग रही सरकार

मंदिर माफी की जमीन पर भगवान के नाम का जनआधार कार्ड नहीं बनता। इस कारण मंदिर माफी की जमीन पर उत्पादित गेहूं को किसान एमएसपी पर नहीं बेच पा रहे हैं।

कोटाApr 11, 2023 / 09:32 am

Anand Mani Tripathi

The administration cut the wheat of 18 acres

The administration cut the wheat of 18 acres

रणजीतसिंह सोलंकी

प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं बेचने के लिए किसानों को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, तभी गेहूं की सरकारी खरीद होगी। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन जिन किसानों ने मंदिर माफी (भगवान के नाम दर्ज भूमि) की जमीन पर गेहूं की बुवाई की है, वे एमएसपी पर सरकार को गेहूं नहीं बेच पा रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जनआधार कार्ड से ही होता है। मंदिर माफी की जमीन पर भगवान के नाम का जनआधार कार्ड नहीं बनता। इस कारण मंदिर माफी की जमीन पर उत्पादित गेहूं को किसान एमएसपी पर नहीं बेच पा रहे हैं।

राजस्व विभाग की ओर से मंदिर माफी की जमीन नीलामी में हर साल किसानों को बुवाई के लिए दी जाती है। कोटा संभाग में 200 से अधिक किसान मंदिर माफी की जमीन पर फसल करते हैं। भगवान के नाम जनआधार कार्ड नहीं होने के कारण वे एमएसपी पर गेहूं नहीं बेच पाएंगे। मंदिर श्री मुरली मनोहरजी के नाम 4.22 हेक्टेयर भूमि दर्ज है, जिसको प्रतिवर्ष मुनाफा काश्त पर दिया गया है। प्रदेश में 20 हजार से अधिक किसान हर साल मंदिर माफी की जमीन पर मुनाफा काश्त करते हैं।

फैक्ट फाइल

2125 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं का एमएसपी

1900 से 2000 रुपए प्रति क्विंटल मंडी में गेहूं का औसत भाव

02 लाख कट्टे गेहूं की मंडी में आवक

इसी प्रकार जिले के एक अन्य किसान शिवराज नागर ने भी मंदिर माफी की 150 बीघा जमीन पर गेहूं की खेती की। भगवान का जनआधार कार्ड नहीं होने के कारण एफसीआई अधिकारी गेहूं नहीं खरीद रहे हैं। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी नहीं हो रहा है। एमएसपी पर मंडी में दो सौ रुपए प्रति क्विंटल के नुकसान पर गेहूं बेचने को विवश होना पड़ेगा।

अधिकारी नहीं दे रहे संतोषजनक जवाब
किसानों ने बताया कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन जनआधार के बिना रजिस्ट्रेशन नहीं हो रहा है। मंदिर माफी की जमीन भगवान के नाम खाते में दर्ज है, ऐसे में भगवान के नाम का जनआधार कार्ड कहां से लेकर आएं। किसानों ने बताया कि इस संबंध में अधिकारियों को समस्या बताई तो उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार के स्तर का मामला है।

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