scriptघर से विदा होने से पहले बोले थे, 20 दिन में वापस आऊंगा, लेकिन चार दिन बाद ही पार्थिव देह घर पहुंची, जानें पुलवामा हमले में शहीद हेमराज की कहानी | Pulwama Terrorist Attack Hemraj Meena Brave Of Rajasthan Jara Yaad Karo Kurbani Martyred Brave Soldier Patriotism Republic Day | Patrika News
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घर से विदा होने से पहले बोले थे, 20 दिन में वापस आऊंगा, लेकिन चार दिन बाद ही पार्थिव देह घर पहुंची, जानें पुलवामा हमले में शहीद हेमराज की कहानी

पुलवामा आतंकी हमले को शायद ही देशवासी भूलेंगे। जिनमें देश के 40 वीर जवानों ने शहादत दी। आतंकियों ने इस पूरे वारदात को छिपकर अंजाम दिया।

कोटाJan 20, 2024 / 06:36 pm

Ashish

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Kota News : पुलवामा आतंकी हमले को शायद ही देशवासी भूलेंगे। जिनमें देश के 40 वीर जवानों ने शहादत दी। आतंकियों ने इस पूरे वारदात को छिपकर अंजाम दिया। शहीद होने वाले 40 वीरों में से 5 राजस्थान के थे। उनमें से एक थे 43 वर्षीय हेमराज मीणा, जिन्होंने घर से विदा होने से पहले परिवार को भरोसा दिया था कि वह 20 दिन में वापस आएंगे। लेकिन चार दिन बाद ही तिरंगे में लिपटी उनकी पार्थिव शरीर घर पहुंची। ‘आज जरा याद करो कुर्बानी’ में कहानी हेमराज मीणा की….

कोटा जिले के सांगोद क्षेत्र स्थित विनोद कलां गांव के हेमराज मीणा, करीब 18 साल पहले सेना में जाने का सपना देखा और इसमें साकार भी हुए। मीणा का चयन सेना के 61वीं बटालियन में हुआ। वह आतंकी हमले के एक दिन पहले ड्यूटी पर पहुंचे थे। घर से विदा होने से पहले उन्होंने परिवार को भरोसा दिया था कि वह 20 दिन में वापस आएंगे। लेकिन चार दिन बाद ही तिरंगे में लिपटी उनकी पार्थिव देह घर पहुंची। देश की माँताओं ने ऐसे शहीद वीर सैनिकों को जन्म देकर अपनी कोख को सुना जरूर किया है लेकिन उन्हें आज गर्व और नाज होता है कि उनके बेटों ने देश की खातिर प्राणों की आहूती दे दी। ऐसे ही नहीं हम गर्व से कहते हैं हमारे वीर सैनिक मातृभूमि की आन बान और शान हैं।

हेमराज की खून में था देशभक्ति

सांगोद के शहीद हेमराज मीणा का सपना था, जब तक जान है मातृभूमि की सेवा करता रहूं। सीआरपीएफ में चयन के बाद जब भी छुट्टी मिलती, सांगोद व विनोदकलां गांव में दोस्तों के बीच देशभक्ति की ही बातें करते थे। कई बार भावुक भी हो उठते। कहते, देश की सेवा करते हुए प्राण गए तो जीवन सार्थक जायेगा। यह बताते-बताते हेमराज के बचपन के साथी पंकज सुमन की आंखें छलक पड़ीं। उन्होंने पत्रिका को बताया, हेमराज कहते थे, मौका मिला तो सीने पर गोली खाऊंगा लेकिन पीछे नहीं हटूंगा।

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मिलनसार था हेमराज

दोस्तों ने बताया, हेमराज मिलनसार था, हर किसी पर छाप छूटती थी। पंकज ने रुंधे गले से बताया, हमले से 5 दिन पहले सांगोद आया तो मिला था। कहा, मुझे जम्मू-कश्मीर जाना है। जल्द छुट्टी मिलेगी, फिर लौटूँगा। साथी नरोत्तम सोनी ने बताया, हेमराज बहुत बहादुर था। कहता था कि हम बंधे हुए हैं। पत्थर खा सकते हैं लेकिन पत्थर मार नहीं सकते। हेमराज के साथी आनंद मंगल, रितेश गर्ग, चन्द्रशेखर शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, प्रियंक जैन ने कहा, हेमराज को दर्द था कि हमारे जवानों को आए दिन मार दिया जाता है लेकिन हमारी सरकार ठोस कदम नहीं उठाती।

पिता को याद कर भावुक हुई बेटी


शहीद हेमराज की बड़ी बेटी रीना ने कहा, पिता कहते थे कि राष्ट्र से बड़ा कोई नहीं है। देश की सीमाओं को सुरक्षित रखना उनका मिशन था। यह मिशन पूरा होना चाहिए। मैं टीचर बनना चाहती थी लेकिन अब पापा जो काम अधूरा छोड़कर गए हैं, उसे पूरा करने में भी मदद करना चाहती हूँ। जीवन में जो कुछ करूंगी, देश के लिए ही करूंगी। वे लोग बहुत गंदे होते हैं, जो अकारण सबकुछ छीन लेते हैं। इतना कहने बाद रीना आगे कुछ नहीं बोल पाईं। उनके परिजनों ने कहा, आतंकियों और उन्हें पोषण देने वालों का जड़ से सफाया करना ही शहीदों को सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।

https://youtu.be/nMgOKmlacSg

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