विधानसभा उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों की प्रतिष्ठा दांव पर है। दो बार विधानसभा चुनाव जीत रही कांग्रेस को जहां अपने गढ़ को बचाने की उम्मीद है। वहीं भाजपा को कांग्रेस की हैट्रिक होने से रोकने का इंतजार है। उपचुनाव के नतीजे दोपहर एक बजे तक सामने आ जाएंगे और इसी के साथ तय हो जाएगा कि देवली-उनियारा का नया विधायक कौन बनेगा?
दोनों दलों ने लगाया पूरा जोर
इस सीट को जीतने के लिए कांग्रेस और भाजपा ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। भाजपा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की दो बार जन सभाएं कराई। वहीं सरकार के दो मंत्रियों व कई विधायकों ने लगातार क्षेत्र में डेरा जमा रखा था। वहीं कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की चुनाव सभा कराई थी।
नरेश मीणा समर्थक मांग रहे भगवान से जीत की मन्नतें
देवली उनियारा सीट के परिणाम को लेकर लोगों में भारी उत्साह है। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र में देवली उनियारा विधानसभा के निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा की जीत के लिए उनके समर्थक मंदिरों में मथा टेक कर मन्नतें कर रहे है। थप्पड़ कांड से सबकी नजर
गत 13 नवम्बर को मतदान के दौरान समरावता गांव में हुए एसडीएम के थप्पड़ कांड और
निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा समेत समर्थकों की गिरफ्तारी के बाद देवली-उनियारा सीट प्रदेशभर में चर्चा में रही है। अब राजनीतिक दलों सहित लोगों की नजरें भी इस सीट के नतीजों पर रहेगी कि जीत का सेहरा किसके सिर पर बंधेगा।
यह है मैदान में
सीट पर कुल 8 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है। इसमें भाजपा से राजेन्द्र गुर्जर, कांग्रेस से किस्तूरचंद मीना तथा निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा समेत अन्य शामिल है। इनके विधायक बनने का फैसला मतगणना में होगा। टोंक-सवाईमाधोपुर सांसद हरीश मीना की भी प्रतिष्ठा दांव पर है। क्यों कि टिकट सांसद के कहने पर ही दिया गया था।
इसलिए हुआ था उपचुनाव
सीट पर दूसरी बार विधायक चुने गए हरीश मीना को कांग्रेस ने गत लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था। इसमें उन्होंने भाजपा के सुखबीर सिंह जौनापुरिया को हराया था। इसके बाद मीना ने विधायक पद से इस्तीफा देकर सीट खाली कर दी थी, जिसके चलते गत 13 नवम्बर को उपचुनाव के तहत मतदान हुआ था।
अब तक यह रहे विधायक
उनियारा विधानसभा क्षेत्र से 1952 व 1957 में राव राजा सरदार सिंह आरआरपी से विधायक बने। इसके बाद 1962 व 1967 में दिग्विजय सिंह एसडब्लूटी, 1972 में राव राजा राजेंद्र सिंह कांग्रेस, 1977 में दिग्विजय सिंह जेपी, 1980 में रामलाल कांग्रेस, 1985 में दिग्विजय सिंह जेपी, 1990 में दिग्विजय सिंह जेडी, 1993 में जगदीश प्रसाद मीणा बीजेपी, 1998 में दिग्विजय सिंह कांग्रेस, 2003 में प्रभुलाल सैनी बीजेपी 2008 में रामनारायण मीणा कांग्रेस, 2013 में राजेंद्र गुर्जर भाजपा, 2018 व 2023 में कांग्रेस से हरीश मीना विधायक बन चुके हैं।