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व्यवस्थाएं मृत, मुर्दे सफर पर! जिन्हे जिन्दा लोगों की ही नहीं कद्र वह मुर्दो की कैसे करे

हड़ताली चिकित्सकों के कारण शवों की भी बेकद्री हुई।

कोटाDec 28, 2017 / 09:33 am

abhishek jain

 शवों की बेकद्री
कोटा .

प्रदेश पिछले 12 दिन चली सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल के आखिरी दिन तक अमानवीय साइड इफैक्ट देखने को मिले। अस्पतालों में मरीजों की कतार, इलाज नहीं मिलना, ऑपरेशन टलना, जांचें नहीं होना और बीमार मरीजों को डिस्चार्ज करने की संवेदनहीनता के बीच अब हड़ताली चिकित्सकों के कारण शवों की भी बेकद्री हुई।
ऐसे ही दो मामले बुधवार को सामने आए। बूंदी कोतवाली थाना क्षेत्र निवासी भगवती चौहान पुत्र नेमीचंद राजपूत 25 दिसम्बर को घर पर अचेत हो गया। परिजन बूंदी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां ड्यूटी डॉक्टर ने भगवती को मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने पोस्टमार्टम करवाना चाहा, लेकिन चिकित्सक नहीं होने से पोस्टमार्टम नहीं हो सका। देर शाम परिजन शव को लेकर एमबीएस अस्पताल पहुंचे।
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यहां 26 को शव का पोस्टमार्टम हुआ। ऐसे में दो दिन तक मृतक का अंतिम संस्कार नहीं हो सका। साथ ही, परिजनों को शव को लेकर कोटा आना पड़ा। एम्बुलेंस व अन्य खर्च स्वयं को भुगतने पड़े, उन्हें मानसिक पीड़ा और आर्थिक नुकसान हुआ सो अलग।
इसी तरह बूंदी के डाबी के सूतड़ा गांव में पिछले दिनों नानू भील की हत्या हुई थी। डॉक्टर्स की हड़ताल के कारण बूंदी में पोस्टमार्टम नहीं हो सका। डाबी पुलिस ने कोटा एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंपा था।

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90 किमी दूर से ला रहे शव
राजस्थान पत्रिका ने पड़ताल की तो पता चला कि कोटा से 35 किमी दूर बूंदी जिला मुख्यालय व कोटा के इटावा, सुल्तानपुर, रामगंजमंडी तक के सामुदायिक चिकित्सालयों से इन दिनों शवों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ। कोटा से इटावा 90, सुल्तानपुर 45 व रामगंजमंडी 60 किमी दूर है।
लगा 2-3 हजार रुपए का फटका
मृतकों के परिजनों ने बताया कि गांव से कोटा तक एम्बुलेंस से शव लाने में 2 से 3 हजार रुपए का खर्च आया। जबकि सरकार व अधिकारियों को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।
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कोटा के एमबीएस में हुए पोस्टमार्टम
12 कोटा
03 बूंदी
03 झालावाड़
01 अजमेर
25 कुल पीएम हड़ताल के दौरान

कोटा भेजे
बूंदी पीएमओ डॉ. नवनीत विजय का कहना है कि जिला मुख्यालय पर चिकित्सक हड़ताल के दौरान से शवों का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। मृतक के परिजनों को कोटा भेजा, ताकि वो शव का पोस्टमार्टम करा सकें।
यहां बढ़ा दबाव
एमबीएस अस्पताल मेडिकल जूरिस्ट डॉ. अशोक मूंदडा का कहना है कि हड़ताल के चलते बूंदी व कोटा के आस-पास गांवों के सामुदायिक चिकित्सालयों में पोस्टमार्टम नहीं हो पाए। इस कारण कोटा में दबाव बढ़ा।

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