राजस्थान के इस अस्पताल में स्ट्रेचर का
काम करते हैं तीमारदारों के कंधे, और जिनका है यह काम वो लेते 100 रूपएयहां 26 को शव का पोस्टमार्टम हुआ। ऐसे में दो दिन तक मृतक का अंतिम संस्कार नहीं हो सका। साथ ही, परिजनों को शव को लेकर कोटा आना पड़ा। एम्बुलेंस व अन्य खर्च स्वयं को भुगतने पड़े, उन्हें मानसिक पीड़ा और आर्थिक नुकसान हुआ सो अलग।
इसी तरह बूंदी के डाबी के सूतड़ा गांव में पिछले दिनों नानू भील की हत्या हुई थी। डॉक्टर्स की हड़ताल के कारण बूंदी में पोस्टमार्टम नहीं हो सका। डाबी पुलिस ने कोटा एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंपा था।
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90 किमी दूर से ला रहे शवराजस्थान पत्रिका ने पड़ताल की तो पता चला कि कोटा से 35 किमी दूर बूंदी जिला मुख्यालय व कोटा के इटावा, सुल्तानपुर, रामगंजमंडी तक के सामुदायिक चिकित्सालयों से इन दिनों शवों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ। कोटा से इटावा 90, सुल्तानपुर 45 व रामगंजमंडी 60 किमी दूर है।
मृतकों के परिजनों ने बताया कि गांव से कोटा तक एम्बुलेंस से शव लाने में 2 से 3 हजार रुपए का खर्च आया। जबकि सरकार व अधिकारियों को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।
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कोटा के एमबीएस में हुए पोस्टमार्टम12 कोटा
03 बूंदी
03 झालावाड़
01 अजमेर
25 कुल पीएम हड़ताल के दौरान कोटा भेजे
बूंदी पीएमओ डॉ. नवनीत विजय का कहना है कि जिला मुख्यालय पर चिकित्सक हड़ताल के दौरान से शवों का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। मृतक के परिजनों को कोटा भेजा, ताकि वो शव का पोस्टमार्टम करा सकें।
यहां बढ़ा दबाव
एमबीएस अस्पताल मेडिकल जूरिस्ट डॉ. अशोक मूंदडा का कहना है कि हड़ताल के चलते बूंदी व कोटा के आस-पास गांवों के सामुदायिक चिकित्सालयों में पोस्टमार्टम नहीं हो पाए। इस कारण कोटा में दबाव बढ़ा।