विश्वभर में प्रसिद्ध कोटा की 1100 साल पुरानी विरासत बर्बाद, दोबारा असंभव है ऐसा विलक्षण निर्माण
पार्क की दरकार
नंदा की बाड़ी में एक मार्ग तो 25 साल से तस का तस है। सड़क यहां बनी ही नहीं। वहीं प्रमुख नाले की साल में एक बार सफाई होती है। गंदगी के साथ लोगों को बदबू का सामना भी करना पड़ रहा है। रोड लाइटें नहीं जलती। यहां कुछ क्षेत्र सेना का है जिसका समाधान भी नहीं हो रहा है। पार्क नहीं हैं जिससे बच्चें सड़कों पर ही खेलते हैं।
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बीमारियां बढ़ी, सुविधाएं घटी
क्षेत्रवासी कहते हैं कि यहां सुविधाएं कम हो रही हैं वहीं बीमारियां बढ़ रही है। यहां कचरा जलाया जाता है जिसका धुंआ लोगों को बीमार कर रहा है। गंदगी से मच्छर पनप रहे हैं। मलेरिया, डेंगू के रोगी भी यहां अधिक मिले हैं। उसके बाद भी प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है। आवारा मवेशियों के चलते खाली प्लाट तबेला बन गए हैं। क्षेत्र में नालियां नहीं होने से घरों का गंदा पानी सड़कों पर बहता है। आशा सैनी का कहना है कि 5 साल से यहां रह रहे हैं, लेकिन किसी ने यहां की सुध नहीं ली। गंदगी के चलते बच्चे बाहर खेल नहीं सकते। कचरा घरों में उड़कर वापस आता है।
नंदकिशोर का कहना है कि प्रमुख नाला जाम है। लोगों ने इस नाले पर अतिक्रमण कर लिया है, जिससे यह समय पर साफ नहीं हो पाता। वार्ड पार्षद भी कोई ध्यान नहीं दे रही। स्कूल की बिल्डिंग खंडर हो गई जहां समाजकंटक रात को बैठे रहते हैं।
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राजकुमार सिंह का कहना है कि सेना की जगह पर कोई कार्य नहीं हो सकता जिस कारण यहां गंदगी रहती है। सफाईकर्मी कचरा डाल जाते हैं। मना करते हैं तो मारपीट को उतारू हो जाते हैं।
सीताराम गोचर का कहना है कि गंदगी तो समस्या है ही, लेकिन यहां कचरा भी जलाया जाता है। जिसके कारण श्वांस लेने में परेशानी होने लगी है। सफाईकर्मी सफाई करने नहीं आते। स्वयं को सफाई करनी पड़ रही है। वीरेन्द्र गौतम का कहना है कि सालों से सड़कें नहीं हैं। बच्चों को स्कूल जाने में व गाडिय़ां निकालने में भी परेशानी आती है। नालियां तक नहीं है। पानी सड़कों पर आता है। क्षेत्र में भी नाले जाम हैं।
पार्षद वार्ड 14 ममता महावर का कहना है कि समस्याओं के समाधान का प्रयास किया जा रहा है। सड़क, नालियां व अन्य कार्य के टेंडर हो गए हैं। रेत मिलना शुरू होते ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा।