आईजी कार्यालय के बाहर हुए प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए राजपूत करणी सेना के प्रदेशाध्यक्ष महीपत सिंह मकराना ने कहा कि महिलाओं के आत्मसम्मान, स्वाभिमान को अक्षुण बनाए रखने के लिए चित्तौड़ की जिस
पदमावती महारानी ने 16000 रानियों के साथ जौहर किया था। फिल्म के निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली ने पदमावती फिल्म में राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया है। जिसे राजपूत समाज तो क्या राजस्थान का कोई भी समाज स्वीकार नहीं करेगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि भगवान राम ने जिस प्रकार से सुपर्णखा की नाक काटी थी। अगर अभिनेत्री
दीपिका पादुकोण ने फिल्म को रिलीज करवाने का दबाव बनाया तो भगवान राम के समान ही राजपूत समाज भी कदम उठा सकता है।
क्षत्रिय महासभा के प्रदेशाध्यक्ष नवरतन सिंह राजावत ने कहा कि यह सम्मान स्वाभिमान की लड़ाई है। इसमें राजपूत के साथ अन्य समाजों द्वारा भी पूरा समर्थन दिया जा रहा है। किसी भी सूरत में एक दिसम्बर को फिल्म को रिलीज नहीं होने दिया जाएगा। प्रदर्शन को क्षत्रिय महासभा के महासचिव अर्जुन सिंह गौड़, करणी सेना के जिलाध्यक्ष मनजीत ङ्क्षसह, भवानी सिंह सोलंकी, शहर कांग्रेस के महासचिव हिम्मत ङ्क्षसह हाड़ा, भाजपा उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश मित्तल, घंटाघर
शनि मंदिर विकास समिति के दिनेश जोशी, भाजपा नेता महीप सिंह हाड़ा। संचालन करणी सेना के संभागीय अध्यक्ष कमलेंद्र सिंह हाड़ा ने किया।
ब्राह्मण समाज दिनेश जोशी का कहना है कि पदमावती फिल्म में चित्तौड़ के गौरवशाली इतिहास को गलत तरीके से प्रदर्शित किया जा रहा है। इस फिल्म पर पूर्ण रूप से प्रतिबंद होना चाहिए। यह राजपूत समाज के साथ ब्राह्मण समाज का भी पूरा समर्थन है। जिनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रदर्शन आंदोलन में साथ दिया जाएगा।
अग्रवाल समाज से सुरेश मित्तल का कहना है कि राजस्थान में फिल्म को किसी भी सूरत में रिलीज नहीं होने दिया जाएगा। इसके लिए भले ही हमें आंदोलन करना पड़े। राजपूत समाज के लोगों के साथ अग्रवाल, जैन आदि समाजों का भी पूरा समर्थन है।