पीडि़ता 24 मार्च 2018 को 3-4 बजे मंदिर दर्शन करने एवं मेला देखने अपनी बड़ी दीदी के साथ गई थी। मेला-दर्शन कर घर लौटी थी। फिर शाम 6.30 बजे पुन: घर में किसी को बिना बताए मंदिर तरफ गई थी, लेकिन घर लौटकर नहीं आई थी। इसके बाद घर के सभी सदस्य मेले में उसे खोजने पहुंचे।
पुलिस की विवेचना के दौरान यह बात सामने आई कि आरोपी सचिन केशरवानी उर्फ भोलू पिता महेंद्र केशरवानी (24) मेला में चॉकलेट खरीद कर अन्य छोटी बच्चियों को देता था।
कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा
मामले में पीडि़ता के पिता की शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ धारा 302, 364, 376(क), 201 तथा अधिनियम की धारा 4, 6, धारा 3(25) एससी-एसटी के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
आरोपी को अलग-अलग सात धारा में मिली सजा
अपर सत्र न्यायालय एफटीसी(पॉक्सो) मनेंद्रगढ़ ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। प्रकरण में धारा 363 में दो साल, धारा 366 में पांच साल, धारा 376 में आजीवन, धारा 376(क) में आजीवन, धारा 302 में आजीवन, धारा 201 में सात साल, धारा 6 लैंगिग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में आजीवन कारावास की सजा शामिल है। सभी धाराओं में मिली सजा साथ-साथ चलेंगी।