scriptChhattisgarh News: 2031-32 तक हो जाएगी कोयले की 1900 मिलियन टन खपत, लाइन तैयार करने में देरी | 1900 million tonnes of coal will be consumed by CG2031-32, delay in preparing the line | Patrika News
कोरबा

Chhattisgarh News: 2031-32 तक हो जाएगी कोयले की 1900 मिलियन टन खपत, लाइन तैयार करने में देरी

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में वर्तमान में कोलफील्ड्स के पास कार्यशील रेल लाइन बेहद कम है। ऐसे में 15 नई रेललाइन बिछाने का काम शुरु हुआ था और अब तीन लाइन पर काम चल रहा है।

कोरबाAug 20, 2024 / 11:20 am

चंदू निर्मलकर

cg coal
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में वर्तमान में कोलफील्ड्स के पास कार्यशील रेल लाइन बेहद कम है। ऐसे में 10 साल बाद की जरुरत को देखते हुए आज से पांच साल पहले छत्तीसगढ़, झारखंड, एमपी, ओडिशा में कुल 15 नई रेललाइन बिछाने का काम शुरु हुआ था। इन 15 रेललाइन में चार लाइन ही पूरी हो चुकी है।
वही छत्तीसगढ़ में तीन लाइन पर काम चल रहा है। जिसमे से एक रेललाइन खरसिया से धर्मजयगढ़ का काम लगभग पूरा हो चुका है। जबकि गेवरारोड से पेंड्रारोड तक रेललाइन का काम अभी आधा हो सका है।

जानें इन सवालो के जवाब

यह जरुरत देशी खदानों से कैसे पूरी होगी? इसे खदान से कोयला थर्मल प्लांटों तक कैसे पहुंचाया जाएगा? इसे लेकर कोल इंडिया(coal india) ने मंथन शुरू किया है। नेशनल कोल लॉजिस्टिक्स प्लान तैयार किया गया है। ताकि खदान का कोयला थर्मल प्लांटों तक पहुंचाया जा सके। पिछले दिनों इसे लेकर एसईसीएल मुख्यालय में स्टेकहोल्डर्स कॉन्सलटेंशन पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें नीति आयोग और कोल मंत्रालय के साथ- साथ रेलवे के अफसर शामिल हुए। इसमें कोयला परिवहन के लिए परिवहन और लॉजिस्टिक्स के बुनियादी ढांचे में सुधार, दक्षता बढ़ाने, लागत कम करने जोर दिया गया।
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देशभर में घरेलू कोयला उत्पादन की उम्मीद

बताया गया कि साल 2030 तक देशभर में घरेलू कोयला उत्पादन के 1.5 बिलियन (1500 मिलियन) टन तक पहुंचने की उम्मीद है। वहीं कोयले की मांग 1.9 बिलियन (1900 मिलियन) टन तक होगी। कोरबा की कोयला खदानों से भी इस अवधि में उत्पादन बढ़ेगा। इसे बाहर ले जाने के लिए रेल मार्ग को समय पर पूरा करने की जरूरत होगी, जो अभी पीछे चल रही है। वही आपको बता दे कि देश में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार बिजली के कुल उत्पादन में कोयले का योगदान 76.59 फीसदी है। भविष्य में कोयले की मांग बनी रहेगी। 2031- 32 तक जब देश में बिजली मांग 24 लाख 73 हजार 776 मिलियन यूनिट होगी। उस समय देश में कोयले की मांग लगभग 1900 मिलियन टन होगी।
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अभी ये है हाल

वर्तमान रेल लाइन पर कोयले के साथ यात्री ट्रेनों का भारी दबाव है। कोयले के रैक के लिए यात्री ट्रेनों को लगातार प्रभावित किया जाता है। सबसे अधिक हादसे कोयले के रैक लेकर जाने वाले मालगाडिय़ों से ही होते हैं। इसके चलते यात्री ट्रेनें कई दिनों तक बंद रहती है। जब नई लाइनें बिछ जाएगी तो यात्री ट्रेनें और कोयले के रैक दोनों एक दूसरे से प्रभावित नहीं होंगे।

कोयला ढुलाई के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर एक नजर में
लाइन स्थिति-

तालचेर कोलफील्ड से लिंगराज साइलो तक लाइन काम पूरा

भद्राचलम से सत्तुपल्ली काम पूरा

अंगुल से बलराम लिंक काम पूरा

सिंगरौली से शक्तिनगर निर्माणाधीन
सिंगरौली से कटनी तक दोहरीलाइन निर्माणाधीन

बरकानना से गढ़वा रोड के बीच तीसरी लाइन निर्माणाधीन

झारसुगढ़ा से बिलासपुर तक चौथी लाइन निर्माणाधीन

दादरी से कोडरमा तक विस्तार निर्माणाधीन

तालचेर से राजथगढ़ तक तीसरी लाइन निर्माणाधीन
तोरी शिवपुर तक ट्रिपलिंग लाइन निर्माणाधीन

शिवपुर से कठौतिया लाइन निर्माणाधीन

गेवरारोड से पेंड्रारोड लाइन निर्माणाधीन

डीटीआईसी के तहत 3 हजार किमी बिछनी है लाइन

कोलफील्ड क्षेत्रों में परिवहन अवसरंचना का विकास (डीटीआईसी) की केन्द्रीय क्षेत्र स्कीम के तहत करीब तीन हजार किमी लंबी रेल लाइन बिछाने का काम चल रहा है। इसे हर हाल में 2024-25 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि 2023 तक दो हजार किमी लाइन का काम पूरा करना था, लेकिन लगातार काम में देरी के चलते प्रोजेक्ट अधूरे रह गए हैं

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