पुलिस अधिकारियों के सामने किन्नरों ने कहा कि वर्दी पहनकर वह भी माओवादी मोर्चे पर जवानों से कंधे से कंधा मिलाकर लडऩे का जज्बा रखते हैं। किन्नरों की बातों को सुनकर पुलिस के आला अधिकारी भी गंभीरता से एक्शन लेने की बात जाहिर कर रहे हैं।
गौरतलब है कि कोंडागांव का आधा भाग माओवाद की चपेट में है। जिला पुलिस बल के अलावा
सीआरपीएफ और आईटीबीपी के जवान माओवादियों के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। ग्रामीणों से मेल-जोल बढ़ाने के लिए समय-समय पर जवान सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन करते रहते हैं।
देश सेवा के लिए करना चाहते हैं कुछ
थर्ड जेंडर सोसायटी की विद्या राजपूत ने कहा कि हममें भी काबिलियत हैं। हम भी देश सेवा के लिए कुछ करना चाहते हैं। अब तक हमें यह मौका नहीं मिल पाया हैं। गलत राह में जाने की बजाए मान-सम्मान से जीने की हमारी भी इच्छा है।
किन्नर रजनी यादव ने बताया कि हम भी पढ़े-लिखे हैं, बस मौका नहीं मिल पाता। सामाजिक बहिष्कार के चलते हम लोग अलग-थलग पड़े हैं, यही वजह है कि हमारी सुनने वाला भी कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि शासन यदि हमारे बारे में सोच रही है और हमें मौका मिलता है तो हम भी बेहतर कार्य कर सकते हैं।
बस्तर संभाग अध्यक्ष रजनी यादव ने कहा कि थर्ड जेंडर में भी तीन भेद होते हैं। इनमें कुछ नाच गाकर गुजारा करते हैं तो कुछ
शिव उपासक के तौर पर धार्मिक स्थलों में कार्य करते हैं। ये शारीरिक और मानसिक तौर पर आमजनों जैसे सक्षम हैं।
डीआईजी आरएल डांगी ने कहा कि कार्यशाला के दौरान कई बातें सामने निकलकर आई हैं। इसमें किन्नरों ने भी पुलिस बनने की इच्छा जताई है।