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कोलकाता

रिवाइंड रील्स एट द रेट बिजनेस-उद्योग-रोजगार: चुनौतियां तमाम, फिर भी विकास की राह पर बंगाल

तमाम चुनौतियों के बावजूद पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था वर्ष 2024 में विकास की राह पर अग्रसर रही। एक तरफ राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 10.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ राष्ट्रीय औसत 7.32 प्रतिशत से आगे रहा, वहीं दूसरी तरफ उद्योगों के पलायन और वित्तीय समस्याओं ने चिंताएं बढ़ाईं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र ने मजबूत प्रदर्शन किया है। 2024-25 में 1.53 लाख करोड़ रुपए का ऋण लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले वर्ष के 1.42 लाख करोड़ रुपए से 7.7 प्रतिशत अधिक है।

कोलकाताDec 29, 2024 / 03:42 pm

Rabindra Rai

तमाम चुनौतियों के बावजूद पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था वर्ष 2024 में विकास की राह पर अग्रसर रही। एक तरफ राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 10.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ राष्ट्रीय औसत 7.32 प्रतिशत से आगे रहा, वहीं दूसरी तरफ उद्योगों के पलायन और वित्तीय समस्याओं ने चिंताएं बढ़ाईं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र ने मजबूत प्रदर्शन किया है। 2024-25 में 1.53 लाख करोड़ रुपए का ऋण लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले वर्ष के 1.42 लाख करोड़ रुपए से 7.7 प्रतिशत अधिक है।

तमाम चुनौतियों के बावजूद पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था वर्ष 2024 में विकास की राह पर अग्रसर रही। एक तरफ राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 10.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ राष्ट्रीय औसत 7.32 प्रतिशत से आगे रहा, वहीं दूसरी तरफ उद्योगों के पलायन और वित्तीय समस्याओं ने चिंताएं बढ़ाईं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र ने मजबूत प्रदर्शन किया है। 2024-25 में 1.53 लाख करोड़ रुपए का ऋण लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले वर्ष के 1.42 लाख करोड़ रुपए से 7.7 प्रतिशत अधिक है।

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र का मजबूत प्रदर्शन

तमाम चुनौतियों के बावजूद पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था वर्ष 2024 में विकास की राह पर अग्रसर रही। एक तरफ राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 10.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ राष्ट्रीय औसत 7.32 प्रतिशत से आगे रहा, वहीं दूसरी तरफ उद्योगों के पलायन और वित्तीय समस्याओं ने चिंताएं बढ़ाईं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्र ने मजबूत प्रदर्शन किया है। 2024-25 में 1.53 लाख करोड़ रुपए का ऋण लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले वर्ष के 1.42 लाख करोड़ रुपए से 7.7 प्रतिशत अधिक है। आने वाले वर्ष में बंगाल को बांग्लादेश में तेजी से बदलते राजनीतिक हालात सहित कई मामलों में गंभीर प्रतिकूलताओं का सामना करना पड़ सकता है। बंगाल से बांग्लादेश में होने वाले निर्यात पर भी इसका प्रतिकूल असर पडऩे की आशंका है।

सेमीकंडक्टर कारखाने से राज्य की छवि सुधरेगी

पिछले बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में कुल 188 समझौता ज्ञापन (एमओयू) और आशय पत्र (एलओआई) पर हस्ताक्षर के साथ 3.76 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिलने के बावजूद कोई बड़ी परियोजना जमीन पर नहीं उतरी। इस बीच अमरीकी सहयोग से कोलकाता में सेमी कंडक्टर निर्माण फैक्ट्री लगाने की घोषणा ने टाटा समूह के जाने से बाद से बंगाल की बिगड़ी छवि में सुधार होने और नए निवेश आने से अर्थव्यवस्था को गति मिलने की उम्मीद को मजबूत किया। अगले वर्ष इस योजना को जमीन पर उतरने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूर्ण सहयोग की घोषणा की। राष्ट्रीय सुरक्षा, अगली पीढ़ी के दूरसंचार और हरित ऊर्जा अनुप्रयोगों के लिए उन्नत सेंसिंग, संचार और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स पर केंद्रित चिप निर्माण संयंत्र से दुनिया के निवेशकों के बंगाल में निवेश के लिए आकर्षित करने की उम्मीद है। मेधा के पलायन पर विराम लगने की भी आस है।

आईटी क्षेत्र में और निवेश की उम्मीद

राज्य की वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चन्द्रिमा भट्टाचार्य के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र ने 7.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की, जो देश के औसत से अधिक रही। न्यू टाउन में 426 करोड़ रुपए की लागत से इंफोसिस ने अपने नए केंद्र का उद्घाटन किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे राज्य के लिए नया साल का तोहफा बताया और आईटी क्षेत्र में और निवेश की उम्मीद जताई। श्याम स्टील और धुनसेरी पॉलिफिल्म्स ने 2,100 करोड़ रुपए के निवेश से अपने प्रोजेक्ट शुरू किए, जिनसे पांच हजार से अधिक रोजगार सृजित होंगे। राज्य सरकार ने न्यू टाउन में 200 एकड़ का सिलिकॉन वैली प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिससे 27 हजार करोड़ रुपए का निवेश और 75 हजार नौकरियां मिलने की उम्मीद है। इससे राज्य के आई़टी हब बनने की उम्मीद जताई जा रही है, जहां फिलहाल टीसीएस, विप्रो और आईबीएम सहित 2200 कंपनियां पहले से हैं।

बढ़ रहा डेटा बुनियादी ढांचा

सीटीआरएलएस डेटासेंटर्स ने कोलकाता में एक डेटा सेंटर विकसित करने के लिए 2,200 करोड़ (लगभग 264 मिलियन अमरीकी डालर) के निवेश की भी घोषणा की, जिसे चार चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में, 16 मेगावाट की सुविधा, जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। एनटीटी ने कोलकाता में अपने डेटा सेंटर परिसर का पहला चरण पूरा कर लिया है, जिसका परिचालन मार्च 2024 में शुरू हुआ था। इसकी प्रारंभिक क्षमता छह मेगावाट और संभावित विस्तार 25 मेगावाट तक था।

ताजपुर गहरे समुद्री बंदरगाह की विफलता

राज्य महत्वाकंशी योजना ताजपुर गहरे समुद्री बंदरगाह परियोजना की बहुप्रचारित बुनियादी ढांचा परियोजना को आगे बढ़ाने में विफल रहा। राज्य सरकार ने नई बोलियों के लिए दोबारा निविदा नहीं निकाली और नहीं पिछले बोली लगाने वाले अडानी समूह को आगे बढऩे की अनुमति दी। इस परियोजना को शुरू करना सरकार के लिए चुनौती बन गया है।

उद्योगों के विकास के लिए सकारात्मक माहौल

राज्य सरकार पांच और छह फरवरी को बंगाल वैश्विक व्यापार सम्मेलन आयोजित करेगी। मुख्यमंत्री ममता ने इसे राज्य में निवेश आकर्षित करने का बड़ा अवसर बताया है। उन्होंने निवेश और रोजगार बढ़ाने के अपने संकल्प को दोहराते हुए कहा कि राज्य में उद्योगों के विकास के लिए एक सकारात्मक माहौल है। व्यापार सम्मेलन में कई उद्योगपतियों के शामिल होने की उम्मीद है। इससे निवेश की संभावनाएं और भी मजबूत हो रही हैं। कई परियोजनाओं के जरिए कोलकाता को एक आधुनिक व्यापार केंद्र में तब्दील करना है, जहां लोग न केवल खरीदारी कर सकें, बल्कि सिनेमा और सामुदायिक गतिविधियों का भी आनंद ले सकें।

कंपनियों के पलायन की समस्या गहरी

राज्य में कंपनियों के पलायन की समस्या गहरी हो रही है। वर्ष 2019 से 2024 के बीच दो हजार 227 कंपनियां, जिनमें 39 सूचीबद्ध कंपनियां भी शामिल हैं, अपने कार्यालय बंगाल से अन्य राज्यों में स्थानांतरित कर चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य को प्रशासनिक सुधार और व्यापार के अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में तेजी से काम करना होगा, ताकि निवेशकों का विश्वास बढ़ाया जा सके और औद्योगिक पलायन रोका जा सके। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिम बंगाल को संतुलित और सतत विकास के लिए नीतिगत सुधार और दीर्घकालिक रणनीति पर काम करना जरूरी है।

आखिरकार जूट उद्योग की स्थिति में सुधार

पश्चिम बंगाल में जूट उद्योग की स्थिति साल के आखिर में सुधरती नजर आ रही है। छह माह पहले जूट बैगों के आर्डर में कमी आई थी, इससे उद्योग पर संकट बढ़ गया था। अब ऑर्डर में सुधार हुआ है। इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन राघवेन्द्र गुप्ता ने पत्रिका को बताया कि अब सभी जूट मिलें सामान्य उत्पादन पर जोर दे रही हैं। नव वर्ष में उम्मीद है कि केंद्र सरकार जूट बैगों के आर्डर को बरकरार रखेगी। बंगाल में करीब 40 लाख जूट किसान हैं, जबकि राज्य की 70 जूट मिलों में करीब 4 लाख श्रमिक जूट मिलों में काम करते हैं। जूट एक कम लागत वाला, बहुमुखी फाइबर है जो प्राकृतिक, नवीकरणीय, बायोडिग्रेडेबल और पर्यावरण के अनुकूल है। इसके कई उपयोग हैं, जिनमें बोरी, बर्लेप बोरे, डोरी और कपड़े जैसी पैकेजिंग सामग्री शामिल हैं। भारत में अधिकांश जूट के सामान घरेलू बाजार में पैकेजिंग के लिए उपयोग किए जाते हैं। यह उद्योग विशेष रूप से पश्चिम बंगाल और असम जैसे पूर्वी राज्यों में प्रचलित है।

वित्तीय प्रबंधन में सुधार की जरूरत

वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में पश्चिम बंगाल का राजकोषीय व्यय, उसके पूंजीगत व्यय से अधिक हो गया है। रेटिंग एजेंसी केयरएज के अनुसार इससे राजस्व व्यय और राजकोषीय व्यय के बीच बढ़ते असंतुलन का पता चलता है, जो प्रमुख भारतीय राज्यों में देखे गए व्यापक रुझानों के अनुरूप है। राज्य की जीडीपी में वर्ष 1960-61 में 10.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, जो 2023-24 में घटकर 5.6 प्रतिशत रह गई। वित्तीय प्रबंधन में भी सुधार की जरूरत है। राज्य और केंद्रीय वित्त पर एजेंसी की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य ने राजस्व व्यय में सालाना आधार पर 13.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि इसका पूंजीगत व्यय केवल 7.7 प्रतिशत बढ़ा। केयरएज की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में राज्यों का राजस्व व्यय मजबूत रहा। कुल मिलाकर, हमारे नमूने में शीर्ष 20 राज्यों ने वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में अपने बजटीय राजस्व व्यय का 41.5 प्रतिशत उपयोग किया, जो वित्त वर्ष 2024 की पहली छमाही में 40 प्रतिशत उपयोग से थोड़ा अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक मुफ्त उपहार, आय सहायता और ऋण माफी जैसे चुनावी वादों को लागू करने के कारण यह वृद्धि हुई।

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