मेडिकल कॉलेज के दो प्रमुख विभाग निश्चेतना विभाग (एनेस्थिसिया) और रेडियोलॉजी (सोनोग्राफी) तो पूरी तरह से खाली है। यहां एनेस्थिसियोलॉजिस्ट के कुल 6 पद है, जिसमें एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट और 3 असिस्टेंट है, जो रिक्त पड़े हुए है। इसी तरह रेडियोलॉजी में भी कुल 6 पद है, जिसमें एक भी डॉक्टर की पदस्थी नहीं हुई है। गायनी ऑपरेशन के लिए तो पूर्व सिविल सर्जन डॉ. संजीव दीक्षित एनेस्थिसिया के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं, गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी यहां गायनी डॉक्टर्स को करना पड़ रही है। जनरल सोनोग्राफी के मरीजों को बाजार में जाकर महंगे दामों में सोनोग्राफी करवाना पड़ रहा है।
मेडिकल कॉलेज में सभी विभागों में एचओडी होना जरूरी है। प्रोफेसर्स स्तर के डॉक्टर्स के पद खाली होने से इन विभागों में एसोसिएट और असिस्टेंट ही विभागाध्यक्ष का काम संभाल रहे है। इएनटी में कुल चार पद है, जिसमें सिर्फ एक एसोसिएट डॉक्टर है, जो एचओडी का काम देख रहे हैं। आर्थो (हड्डी रोग) में तो हालात ओर भी खराब है। यहां 6 के मुकाबले एक असिस्टेंट डॉक्टर है, जिन पर एचओडी का भी भार है। इन दिनों सबसे ज्यादा मरीज आर्थो के ही आ रहे है। जिसके कारण ओपीडी के बाहर दर्द से कहराते मरीजों की लाइन लगी है।
मेडिकल कॉलेज क्लीनिकल साइड में डॉक्टर्स की कमी को लेकर हम प्रबंधन को पत्र लिख चुके हैं। प्रबंधन द्वारा समय-समय पर पद के लिए विज्ञप्ति भी निकाली जाती है, लेकिन डॉक्टर्स आ नहीं रहे हैं। शासन स्तर पर प्रबंधन इसके लिए लगा हुआ है।
डॉ. रंजीत बड़ोले, मेडिकल कॉलेज अधीक्षक