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खंडवा

बेहाल मेडिकल कॉलेज… प्रोफेसर नहीं, जूनियर डॉक्टरों के बल पर चल रहा 700 बेड का मेडिकल कॉलेज अस्पताल

-प्रमुख विभागों में एचओडी ही नहीं, एसोसिएसट, असिस्टेंट की जगह भी खाली
-ओपीडी के बाहर लंबी कतार, परेशान होकर वापस जा रहे मरीज
-सात साल में भी डॉक्टरों की कमी को पूरा नहीं कर पाया मेडिकल कॉलेज प्रबंधन

खंडवाDec 17, 2024 / 11:49 am

मनीष अरोड़ा

Medical College Khandwa

खंडवा. हड्डी रोग ओपीडी के बाहर लगी मरीजों की भीड़।

मरीजों के इलाज करने वाले मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं को खुद इलाज की दरकार है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के हाल वर्तमान में बेहाल नजर आ रहे है। मेडिकल कॉलेज क्लीनिकल साइड में प्रमुख विभागों में विभागाध्यक्ष ही नहीं है। इक्का-दुक्का एसोएिसट और असिस्टेंट डॉक्टर विभागों में प्रमुख बनकर बैठे है। 700 बेड का मेडिकल कॉलेज अस्पताल सिर्फ सीनियर और जूनियर रेसिडेंजी डॉक्टर के भरोसे चल रहा है। ओपीडी में लंबी कतारों में खड़े कहराते मरीज अपनी बारी का इंतजार कर आखिर में थक-हारकर वापस जाने को मजबूर है।
मेडिकल कॉलेज क्लीनिकल साइड में रोजाना 15 सौ से 2 हजार के बीच मरीज पहुंच रहे हैं। मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 12 प्रमुख विभागों में से 9 बिना विभागाध्यक्ष के चल रहे हैं। वहीं, 24 पद यहां एसोसिएट प्रोफेसर्स के हैं, जिसमें से महज 8 में एसोसिएट डॉक्टर्स मौजूद है। इसमें भी अधिकतर डॉक्टर्स पर विभागाध्यक्ष का भी भार है, जिसके चलते ओपीडी में समय नहीं दे पा रहे। वहीं, एसिस्टेंट डॉक्टर्स के यहां कुल 31 पद है, जिसमें सिर्फ 7 पद ही भरे हुए है। देखा जाए तो मेडिकल कॉलेज अस्पताल सीनियर और जूनियर डॉक्टर्स के साथ एमबीबीएस पासआउट इंटर्न डॉक्टर्स के भरोसे चल रहा है। अधिकतर ओपीडी में एसआर और जेआर के साथ इंटर्न डॉक्टर्स मरीजों को देख रहे हैं।
एनेस्थिसिया, रेडियोलॉजी विभाग बिलकुल खाली
मेडिकल कॉलेज के दो प्रमुख विभाग निश्चेतना विभाग (एनेस्थिसिया) और रेडियोलॉजी (सोनोग्राफी) तो पूरी तरह से खाली है। यहां एनेस्थिसियोलॉजिस्ट के कुल 6 पद है, जिसमें एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट और 3 असिस्टेंट है, जो रिक्त पड़े हुए है। इसी तरह रेडियोलॉजी में भी कुल 6 पद है, जिसमें एक भी डॉक्टर की पदस्थी नहीं हुई है। गायनी ऑपरेशन के लिए तो पूर्व सिविल सर्जन डॉ. संजीव दीक्षित एनेस्थिसिया के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं, गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी यहां गायनी डॉक्टर्स को करना पड़ रही है। जनरल सोनोग्राफी के मरीजों को बाजार में जाकर महंगे दामों में सोनोग्राफी करवाना पड़ रहा है।
एसोसिएट, असिस्टेंट ही संभाल रहे एचओडी का काम
मेडिकल कॉलेज में सभी विभागों में एचओडी होना जरूरी है। प्रोफेसर्स स्तर के डॉक्टर्स के पद खाली होने से इन विभागों में एसोसिएट और असिस्टेंट ही विभागाध्यक्ष का काम संभाल रहे है। इएनटी में कुल चार पद है, जिसमें सिर्फ एक एसोसिएट डॉक्टर है, जो एचओडी का काम देख रहे हैं। आर्थो (हड्डी रोग) में तो हालात ओर भी खराब है। यहां 6 के मुकाबले एक असिस्टेंट डॉक्टर है, जिन पर एचओडी का भी भार है। इन दिनों सबसे ज्यादा मरीज आर्थो के ही आ रहे है। जिसके कारण ओपीडी के बाहर दर्द से कहराते मरीजों की लाइन लगी है।
प्रबंधन को लिख चुके पत्र
मेडिकल कॉलेज क्लीनिकल साइड में डॉक्टर्स की कमी को लेकर हम प्रबंधन को पत्र लिख चुके हैं। प्रबंधन द्वारा समय-समय पर पद के लिए विज्ञप्ति भी निकाली जाती है, लेकिन डॉक्टर्स आ नहीं रहे हैं। शासन स्तर पर प्रबंधन इसके लिए लगा हुआ है।
डॉ. रंजीत बड़ोले, मेडिकल कॉलेज अधीक्षक

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