scriptऑर्गेनिक कॉटन… निजी संस्थाओं के माध्यम से हो रही प्राकृतिक कपास की खेती, कृषि विभाग को जानकारी नहीं | Patrika News
खंडवा

ऑर्गेनिक कॉटन… निजी संस्थाओं के माध्यम से हो रही प्राकृतिक कपास की खेती, कृषि विभाग को जानकारी नहीं

-निमाड़ के चार जिलों में सिर्फ खरगोन में ही दो हजार हेक्टेयर में लग रहा ऑर्गेनिक कॉटन
-खंडवा क्लस्टर में अगले खरीफ सीजन के लिए आया एक हजार हेक्टेयर का लक्ष्य

खंडवाDec 15, 2024 / 12:14 pm

मनीष अरोड़ा

खंडवा. ऑर्गेनिक कॉटन। प्रतीकात्मक चित्र

संसद के राज्यसभा सत्र में मप्र में ऑर्गेनिक कॉटन के लिए फार्मर समूहों द्वारा फर्जी प्रमाणीकरण का मामला उठा है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस मामले में धार और इंदौर में एफआइआर कराने की बात कही है। निमाड़ अंचल में भी निजी संस्थाओं द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसमें ऑर्गेनिक कॉटन भी शामिल है। निमाड़ के चारों जिलों में सिर्फ खरगोन में ही दो हजार किसान दो हजार हेक्टेयर में ऑर्गेनिक कॉटन लगा रहे है। इसमें किसानों की सूची भी विभाग के पास उपलब्ध नहीं है।
ऑर्गेनिक कॉटन के फर्जी प्रमाणीकरण को लेकर करीब चार माह पूर्व राज्यसभा सांसद व पूर्व सीएम दिग्विजयसिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने कहा था कि निमाड़ अंचल में ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह बनाए गए हैं। इनमें ऐसे गांवों के किसान शामिल हैं, जो न तो ऑर्गेनिक कॉटन और न ज ही साधारण बीटी कॉटन का उत्पादन करते हैं। बगैर वैरिफिकेशन ऑर्गेनिक उत्पादन के सर्टिफिकेट जारी किए गए। जांच कराकर दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई करें। मामले में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने माना कि ऑर्गेनिक कॉटन के प्रमाणीकरण में गलती हुई है। इसके लिए एक प्रमाणन निकाय को राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम उल्लंघन के तहत एक साल के लिए लायसेंस निलंबित किया गया है। वहीं, इस मामले में इंदौर और धार पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर एफआइआर करने का अनुरोध किया गया है।
विभाग के पास ऑर्गेनिक कॉटन किसानों की जानकारी नहीं
निमाड़ के खंडवा और खरगोन क्षेत्र में कपास का सबसे ज्यादा रकबा है। खंडवा में 55 हजार हेक्टेयर और खरगोन में 2.10 लाख हेक्टेयर रकबे में कपास होता है। वर्तमान में कई किसान निजी संस्थाओं के माध्यम से ऑर्गेनिक कॉटन लगा रहे है। खंडवा में ऑर्गेनिक कॉटन के किसानों की कोई जानकारी कृषि कल्याण विभाग के पास नहीं है। वहीं, खरगोन में बायो-रे और आगा खान संस्था द्वारा करीब दो हजार किसानों से दो हजार हेक्टेयर में ऑर्गेनिक कॉटन की खेती कराई जा रही है। हालांकि ऑर्गेनिक कॉटन की खेती किन क्षेत्रों और किन किसानों द्वारा की जा रही है, इसकी जानकारी खरगोन डीडीए कार्यालय को भी नहीं है। उल्लेखनीय है कि आगा खान संस्था खंडवा जिले में भी सक्रिय है।
अगले सीजन के लिए मिला लक्ष्य
खंडवा जिले में वर्तमान में ऑर्गेनिक कॉटन का कोई किसान नहीं है। किसी संस्था ने इसकी जानकारी भी नहीं दी है। अगले खरीफ सीजन के लिए जरूर खंडवा क्लस्टर को एक हजार हेक्टेयर ऑर्गेनिक कॉटन का लक्ष्य मिला है।
केसी वास्कले, उपसंचालक कृषि खंडवा
हमने सूची मांगी है
बायो-रे और आगा खान संस्था द्वारा दो हजार हेक्टेयर में ऑर्गेनिक कॉटन की खेती कराई जा रही है। संस्थाओं से हमने किसानों की सूची मांगी है, लेकिन अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। तीन साल ऑर्गेनिक खेती करने के बाद प्रमाण पत्र दिया जाता है।
प्रकाश ठाकुर, एडीए कृषि कल्याण विभाग खरगोन

Hindi News / Khandwa / ऑर्गेनिक कॉटन… निजी संस्थाओं के माध्यम से हो रही प्राकृतिक कपास की खेती, कृषि विभाग को जानकारी नहीं

ट्रेंडिंग वीडियो