ट्रेन में बैठकर चली गई थी ग्वालियर
शीलादेवी ने बताया कि उसकी बेटी की कुछ मानसिक हालत ठीक नहीं थी। वह ट्रेन में बैठकर कहीं चली गई थी। बताया जा रहा है कि वह कुछ दिन पहले ग्वालियर पहुंच गई थी। जहां पर कुछ लोगों ने उसे मेंटल हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया था। वहां पर उपचार के दौरान ५ दिन पहले लक्ष्मी की याददाश्त वापस आ गई और उसने अपना पता बताया। हॉस्पिटल प्रबंधन द्वारा कटनी पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस की पहल पर गुरुवार को मां बेटी का मिलन हो सका।
दिन रात पुकारती थी लक्ष्मी-लक्ष्मी
मां ने पत्रिका से चर्चा के दौरान कहा कि जबसे बेटी लक्ष्मी गायब हुई थी वह उसके वियोग में पागल सी हो गई थी। दिर-रात वह लक्ष्मी-लक्ष्मी पुकारती रहती थी। आज पुलिस ने उसकी पीड़ा को समझा और बेटी से मिलाया। लक्ष्मी का कहना था कि वह पढ़ी लिखी नहीं है। जबलपुर लाल मिट्टी जाना जाना था, टेंशन में कहीं और चली गई। मैं बड़ोदरा मौसी के यहां जाना चाह रही थी, लेकिन मुझे पता नहीं कि मैं वहां कब और कैसे पहुंच गई। हमेशा मां की याद आती थी, लेकिन दिमाग काम नहीं कर रहा था।
बेटा भी दिव्यांग
शीला देवी न सिर्फ बेटी के वियोग से परेशान थी बल्कि घर की मालीहालत को लेकर भी जद्दोजहद कर रही है। एक बेटा किशनचंद है वह भी दिव्यांग हैं। ११ साल पहले लंबी बीमारी में पति की मौत के बाद जीवन-यापन के लिए भी उसे परेशान होना पड़ रहा है। कुछ दिनों से हरे माधव परमार्थ सत्संग समिति द्वारा उसे राशन, किराना आदि की सुविधा मुहैया कराई गई है। मां-बेटी के मिलन को जब मोहल्ले के लोगों ने देखा तो सभी की आंखें नम हो गईं।