अमावस्य को मान रहे प्रकटोत्सव
समिति के सदस्यों ने बताया कि नवरात्र में दुर्गा पूजन का विधान है। माता काली का प्रकटोत्सव कार्तिक अमावस्या को हुआ था, इसलिए उनके द्वारा यह पहले अमावस्या से की जाती है। एकदशी के दूसरे दिन विसर्जन कराते हैं। शिव कछवाहा ने बताया कि इस बार तिथि के कारण दीपावली दो दिन, परीवा दो दिन व भाईदूज दो दिन होने के कारण 14 नवंबर को विसर्जन किया जाएगा। पंडाल में प्रतिदिन हनव-पूजन, महाआरती, प्रसाद वितरण किया जा रहा है। पंडाल में समिति द्वारा आकर्षक साज-सज्जा भी कराई गई है। समिति के सदस्यों ने बताया कि मां काली की अराधना राष्ट्र कल्याण की भावना को लेकर की जा रही है। पंडाल में सुबह-शाम मातारानी के एक से बढकऱ जयकारे व भजन गूंज रहे हैं।