रात में 11.30 बजे विलायतकला से गुणा मार्ग पर हाथी के पगमार्क दिखे। पग मार्क ट्रैस किए, लेकिन आगे नाले में पगमार्क मिलना बंद हो गए। रात 2 बजे तक सर्च ऑपरेशन चलता रहा, लेकिन हाथी नहीं मिला, इसके बाद सर्चिंग बंद कर दी गई। बुधवार सुबह साढ़े 6 बजे वन विभाग को सूचना मिली कि गुणा गांव में एक खदान के पास हाथी है। पगमार्क के अनुसार 7.30 बजे हाथी बड़ा गुणा गांव के खेतों में मिला। सूचना मिलते ही 150 स्टॉफ के साथ टीम मौके पर पहुंची और 5-6 खेत को घेराबंदी कराई गई। बांधवगढ़ की रेस्क्यू टीम 10 बजे बड़ा गुणा पहुंची, पौने 11 बजे हाथी मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू चालू किया। खेत में धान की फसल खाते समय उसे पकडऩे का प्रयास किया गया, बच्चा गाड़ी में नहीं घुस रहा था। गले में फंदा डालकर पकडऩे कोशिश की गई। डेढ़ घंटे तक मशक्कत चली, लेकिन सफलता हाथ हनीं लगी।
पहले डेढ़ घंटे तक फिजिकली रेस्क्यू चला, जअ सफलता नहीं मिली तो मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक वीएन अंबाड़े से ट्रैंक्यूलाइज करने अनुमति ली गई। रेस्क्यू करने के लिए इनके द्वारा ही अनुमति दी जाती है। सूचना देकर डॉक्टर नितिन गुप्ता बांधवगढ़ ने 12.30 बजे हाथी को ट्रैंक्युलाइज किया। ट्रैक्यूलाइज में नॉर्मल से मात्र 30 प्रतिशत का डोज दिया गया। जिससे व शांत हो गया। उसे गाड़ी में रखकर ठीक करने प्रयास किया गया। फिर से उसे होश में लाने के लिए दवा दी गई। रस्सी से चारों तरफ से बंद किया गया, ताकि वह रास्ते में न कूदे। वाहन की हाइट भी बढ़ाई गई, ताकि वह सहज महसूस कर सके। सफल रेस्क्यू के बाद 1 बजे यहां से टीम हाथी को लेकर रवाना हुई और बांधवगढ़ के बड़े एनक्लोजर में लेजाकर छोड़ा गया।
नन्हे शावक का सफल रेस्क्यू हो, इसके लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर अमित दुबे, डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा, डीएफओ उमरिया विवेक सिंह, डीएफओ कटनी गौरव शर्मा एसडीओ सुरेश बरोले टीम के साथ मुस्तैद रहे। कटनी की 6 रेंज के रेंजर, डिप्टी रेंजर, वन रक्षक, वनपाल सहित विभाग के 150 अधिकारी-कर्मचारी मुस्तैद रहे। इस ऑपरेशन के दौरान वन विभाग द्वारा 8 वाहन लगाए गए थे। 12 वाहन स्टॉफ से मंगाए गए, 15 वाहन उमरिया व बांधवगढ़ पार्क की शामिल रहीं।
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10 माह का है शावक, बड़े एनक्लोजर ठिकाना
डीएफओ ने बताया कि पकड़ा गया हाथी के बच्चे की उम्र चिकित्सक द्वारा लगभग 10 माह बताई गई है। इसे बांधवगढ़ नेशनल पार्क के बड़े एनक्लोजर में ऑब्जर्वेशन के लिए रखा गया है। हाथी का कौन हर्ड है, किस समूह के हर्ड ने लेने से मना कर दिया है यह पता लागया जाएगा। डीएफओ ने बताया कि हाथियों के समूह की हेड फीमेल हाथी होती है। यह पता लगाया जाएगा कि आखिर किस समूह का यह बच्चा है।
हाथी के बच्चे की हालत स्वस्थ है और अब वह ट्रैक्यूलाइज के बाद होश में आते ही सामान्य स्थिति में है। डीएफओ ने बताया कि बांधवगढ़ के एनक्लोजर में हाथी ने दूध पिया है, गन्ना भी खाया है। वह एकदम स्वस्थ है। एक घंटे में लगभग 7 किलोमीटर से अधिक चल रहा है। यह नन्हा शावक अपनी मां व ग्रुप से बिछडऩे के कारण असहज हो गया था।
डीएफओ ने बताया कि प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है जब टीम द्वारा हाथी शावक का रेस्क्यू किया गया है। बड़े व युवा हाथियों का रेस्क्यू तो टीम कर चुकी है, लेकिन नन्हे हाथी का रेस्क्यू करना बड़ा चुनौतीपूर्ण था। हाथी को मैनेज करना आसान नहीं हो रहा था। इसको ट्रैंक्यूलाइज करने को लेकर भी डर बना हुआ था, कि कहीं कुछ हो न जाए।
रेस्क्यू के दौरान 4-5 किसानों की फसल चौपट हो गई। ऑपरेशन के दौरान जहां पर अधिक नुकसान हुआ है उस एक किसान की फसल खराबी का सर्वे कराया गया। मौके पर पटवारी, रेंजर से फसल नुकसान का आंकलन कराते हुए वन्य प्राणी से हुए नुकसान पर मुआवजा तैयार कराया गया। अन्य किसानों ने भी सर्वे कराकर मुआवजा दिलाए जाने मांग की है।
बड़वारा के गुणाकला से हाथी के बच्चे का रेस्क्यू किया गया है। बुधवार सुबह दो हाथी कान्हा नेशनल पार्क, दो हाथी बांधवगढ़ पार्क से मंगाए गए। 150 अफसरों व कर्मचारियों की टीम ने रेस्क्यू किया है। बफर जोन में निगरानी की जा रही है, यदि इस तरफ हाथी निकलकर आते हैं तो सूचना मिलते ही मूमवेंट ट्रैक किया जाएगा। हर दिन निगरानी की जा रही है।
अमित दुबे, फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़ पार्क।
गौरव शर्मा, डीएफओ।