सर्प मित्र कोतवाली लेकर पहुंची सांप
सर्पमित्र अमिता श्रीवास सपेरों से सांप का रेस्क्यू करने के बाद उन्हें लेकर कोतवाली थाना परिसर पहुंची। इस दौरान उन्होंने बताया कि वनविभाग से कई बार मदद मांगने के बावजूद टीम नहीं पहुंची। ऐसी स्थिति में मजबूरीवश सांप पकडकऱ थाने लाने पड़े। अधिकांश सांप घायल थे और उनके मुंह से खून निकल रहा था।
जालपा वार्ड में मिले सबसे अधिक सपेरे
सर्पमित्रों ने बताया कि शहर में कुल 34 सांप सपेरों के कब्जे से मुक्त कराए गए है। इनमें जालपा वार्ड, संतनगर, नई बस्ती, सिविल लाइन सहित अन्य क्षेत्रों में सांप पकड़े गए है। ज्यादातर सांप जालपा वार्ड में मिले। यहां चार महिलाओं के कब्जे से चार सांप मिले। महिलाएं अपने साथ मासूम बच्चों को लेकर भी चल रही थीं, जो घरों में जाकर सांप के दर्शन करवाकर दान ले रही थी।
काले धागों से सिला था सभी का मुंह
पशु प्रेमियों ने सांपों का रेस्क्यू किया तो सपेरे मौका देखकर भाग निकले। इसके स्थान पर उनकी सपेरों से झड़प भी हुई। रेस्क्यू करने के बाद जब पशु प्रेमियों ने सांपों को ध्यान से देखा तो पाया कि उनके दांत टूटे हुए हैं। सभी के मुंह को काले रंग के धागों से सिल दिया गया था, जिसके चलते वे कुछ भी खाने-पीने में असमर्थ थे।
सांप के मुंह से काटे धागे, जंगल में छोड़ा
मां लक्ष्मी गौसेवा समिति के सतीश सोनी ने बताया कि नई बस्ती, संतनगर, गांधीगंज, बस स्टैंड मेें 12 सपेरे हमे मिले। इनके पास कोबरा नाग एंव नागिन प्रजाति के सांप मिले। सपेरों से जब सांप मुक्त करने के लिए कहा तो वे नहीं माने, इसके एवज में उन्हें 100 रुपए देकर समझाइश दी। वनविभाग के नियमों का हवाला भी दिया। इसके बादसभी सांपों के सिले हुए मुंह को खोलकर उन्हें सुरक्षित जंगल में छोड़ा गया।
वनविभाग को नहीं मिले सपेरे
शहर में सांपों के साथ हुई इस क्रूरता व मनमानी को लेकर वनविभाग का रवैया लापरवाह नजर आए। विभाग से ज्यादा सर्पमित्र व पशुप्रेमी सक्रिय नजर आए। हैरानी की बात तो यह है कि 34 सांपों का रेस्क्यू तो किया गया लेकिन वनविभाग किसी भी सपेरे पर कार्रवाई नहीं कर सका।
इनका कहना
पशुप्रेमियों व वनविभाग की टीम द्वारा संयुक्तरूप से शहर में कई स्थानों पर कार्रवाई की गई है। सपेरों के कब्जे से सर्प मुक्त करवाकर सुरक्षित तरीके से जंगल में छोड़े गए है। सपेरे सांप छोडकऱ भाग निकले थे, जिसके चलते उनपर कार्रवाई नहीं हो सकी।
नबी अहमद, रेंजर, वनविभाग कटनी