रोडवेज सूत्रों के अनुसार मुख्यालय की ओर से करौली डिपो के लिए चालक, परिचालक, मंत्रालयिक कर्मचारी, प्रबंधक यातायात के नाम से पद स्वीकृत हैं, लेकिन इन कार्मिकों की ड्यूटी की व्यवस्था हिण्डौन आगार से ही होती है। केवल ६ कार्मिकों को ही यहां लगाया हुआ है। इन ६ कार्मिकों में तीन को टिकट खिड़की, दो को पूछताछ केन्द्र तथा एक कार्मिक को आरएफआईडी (रोडवेज के रियायती कार्ड) सहित बस स्टैण्ड की अन्य व्यवस्थाओं का जिम्मा सौंपा हुआ है। इनमें भी जब भी कोई कार्मिक अवकाश पर जाते हैं तो व्यवस्थाएं गड़बड़ा जाती है।
करौली जिला मुख्यालय से जयपुर, ग्वालियर, कैलादेवी, अलवर, दिल्ली, भरतपुर, गंगापुरसिटी, सपोटरा, मण्डरायल, करणपुर आदि स्थानों के लिए रोडवेज बसों का संचालन होता है। इन सब स्थानों के टिकट दो खिड़कियों से दिए जाते हैं, लेकिन कई बार कार्मिकों के अभाव में ऐसी नौबत आती है कि एक ही टिकट खिड़की का संचालन करना पड़ता है। यानि वैकल्पिक व्यवस्था के लिए कार्मिक नहीं हैं।
सूत्र बताते हैं कि लॉक डाउन से पहले तक करौली स्टेण्ड पर टिकटों के जरिए सवा से डेढ़ लाख रुपए तक की राजस्व आय होती रही है। वर्तमान में अभी सभी गाडिय़ों का संचालन नहीं है। इसके बावजूद ८०-८५ हजार रुपए प्रतिदिन की राजस्व आय हो रही है। गौरतलब है कि अप्रेल माह में भरतपुर जोन में करौली डिपो द्वारा सर्वाधिक आय अर्जित करने पर जोनल डिपो ऑफ दी मन्थ घोषित किया गया है।