डीएवी कॉलेज पहुंचे राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सोमवार को अपने एक दिवसीय कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कानपुर पहुंचे। उनकी आगवनी प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने की। राष्ट्रपति चकेरी एअरपोर्ट से सड़क के जरिए सीधे बाला जी के मंदिर पहुंचे और पूजा-अर्चना के बाद डीएवी कॉलेज के शताब्दी समारोह में भाग लिया। इस मौके पर उन्होंने शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने की अपील की। साथ ही शिक्षा संस्थानों के अलावा टीवर व अभिवावकों से कहा कि वो बच्चों को अच्छे संस्कार और बेहतर शिक्षा दें, जिससे कि भारत से गरीबी, आतंकवाद, नक्सलवाद और अराजकता रूपी जहर खत्म हो सके।
तीन टीचरों को किया सम्मानित
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर अपने तीन गुरूओं से मिलने के लिए पहले से आमंत्रण पत्र देकर कॉलेज बुलवाया था। किदवईनगर निवासी त्रिलोकी नाथ टंडन (90) और अंग्रेजी के टीचर रहे प्यारेलाल (100) और एकाउंट के टीचर हरीराम कपूर के बकाएदा पैर छुकर उनसे आर्शीवाद लिया। इस दौरान उन्होंने अपने गुरूजनों से अकेले में बैठकर चर्चा की। राष्ट्रपति ने दोनों को सम्मानित भी किया। रिटायउर् टीचर त्रिलोकी लाल टंडन ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुझसे बोले कि आप सौ साल जिएं। हमने भी उन्हें सौ साल से ज्यादा तक ऐसे ही समाज सेवा का आर्शीवाद दिया।
..तो मुझे बताइएगा
अंग्रेजी के शिक्षक प्यारेलाल सौ साल के उम्र पार कर लेने के बावजूद अपने शिष्य के बुलावे पर कॉलेज पहुंचे। प्यारेलाल अपनी बहू के साथ आए। राष्ट्रपति मंच पर बैठे थे और जैसे ही उनकी नजर अपने गुरू पर पड़ी तो नीचे उतर आए और पैरे छूकर कहा गुरू जी मैं आपका रामनाथ हूं। भूले तो नहीं। इस पर प्यारेलाल ने कोविंद की पीठ पर हाथ रखा और आशीर्वाद दिया। प्यारेलाल ने कहा कि आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वो (राष्ट्रपति) बच्चा था। इसके आगे वह बोल नहीं पा रहे थे। राष्ट्रपति ने प्यारेलाल की बहू से उनका ख्याल रखने को कहा। कहा किसी तरह की परेशानी हो तो मुझे बताइएगा।
टीचर और छात्र के बीच अदभुत रिश्ता
राष्ट्रपति कोविंद को एकाउंट्स पढ़ाने वाले हरीराम कपूर भी पहुंचे। उन्हें भी उनके मेधा ( राष्ट्रपति) ने सम्मानित किया। कपूर ने बताया कि मैं उनका (राष्ट्रपति कोविंद) का क्लास टीचर था। उस समय अध्यापक और छात्र का संबंध काफी मधुर हुआ करता था। राष्ट्रपति कोविंद को मैंने आशीर्वाद दिया है कि तुम अच्छे से देश संभालो। बतौर शिक्षक उन्हें कई बार सम्मानित किया गया लेकिन इतना सम्मान कभी नहीं मिला। भाग्यशाली हूं। उन्होंने इसके लिए आयोजकों को भी धन्यवाद दिया। कपूर कहते हैं कि पहले शिष्य गुरू को आदर्श मानता था। हर छोटी बात पर वो गौर किया करता था। पर आज ऐसे हालात नहीं है। टीचर भी पैसे की चकाचौंध में गुम हो गए तो शिष्य भी आधुनिकता की ओर मुड़ गए हैं।