scriptआखिरकार कोरोना के डर से क्यों उड़ रहे नोटों के रंग, आरबीआई ने किया खुलासा | Kanpur corona virus Fear Money bad condition rupees RBI Disclosure | Patrika News
कानपुर

आखिरकार कोरोना के डर से क्यों उड़ रहे नोटों के रंग, आरबीआई ने किया खुलासा

corona virus Fear Money bad condition – 2020-21 में दो हजार रुपए के 45.48 करोड़ रुपए हुए बदरंग

कानपुरJun 01, 2021 / 12:58 pm

Mahendra Pratap

आखिरकार कोरोना के डर से क्यों उड़ रहे नोटों के रंग, आरबीआई ने किया खुलासा

आखिरकार कोरोना के डर से क्यों उड़ रहे नोटों के रंग, आरबीआई ने किया खुलासा

कानपुर. corona virus Fear Money bad condition कोरोना वायरस के डर से आदमियों के ही नहीं नोटों की भी हालात पतली हो गई। कोरोना की पहली और दूसरी लहर की वजह से नोटों का रंग उड़ गया। कोरोना काल में जितने नोट खराब हुए हैं ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। खराब होने वाले नोटों में सबसे अधिक बड़े नोट हैं। आरबीआई रिपोर्ट में बताया गया है कि, नोटों की खराब होने की सबसे बड़ी वजह कोरोना है।
यूपी ग्राम पंचायत उपचुनाव का ऐलान, 12 जून को होगा मतदान

अब अगर आंकड़ों के आधार पर देखे तो इनकी मात्रा इतनी है कि आप उफ्फ करेंगे। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2,000 रुपए के सिर्फ छह लाख नोट डिस्पोज किए गए थे, पर वित्तीय वर्ष 2020-21 में इनकी संख्या 45.48 करोड़ पहुंच चुकी है। यह तकरीबन 750 गुना अधिक है।
200 के नोट 11.86 करोड़ हुए खराब :- अब अगर 200 रुपए के नोटों की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2018-19 में रिजर्व बैंक के पास सिर्फ एक लाख नोट ही बेहद खराब स्थिति में पहुंचे थे, लेकिन वित्तीय वर्ष 2020-21 में यह संख्या बढ़कर 11.86 करोड़ हो गई। यह करीब 1186 गुना ज्यादा है। 500 रुपए के नोट खराब होने में भी तकरीबन 40 गुना इजाफा हुआ है। पर गौर करने वाली बात यह है कि छोटे नोटों पर इसका कम प्रभाव पड़ा है। छोटे नोटों में यह संख्या आधी ही है।
डर से खराब हुए नोट :- अब सवाल यह उठ रहा होगा कि आखिर खराब नोटों को कोरोना से क्या सम्पर्क है। तो गौर करें की कोरोना आम जनता से मार्च 2020 में रुबरु हुआ जब देश में लॉकडाउन लगा। पर वर्ष 2019 से ही कोरोना वायरस ने अपनी दस्तक दे दी थी। जानकारी होने पर लोग नोटों को सैनिटाइज करने लगे। और अगर किसी के पास सैनिटाइजर नहीं था, तो उसने साबुन से नोटों को धोकर उन्हें प्रेस तक कर दिया। जिस वजह से नोट तेजी से खराब हुए या गलने लगे। इसी वजह से वित्तीय वर्ष 2019-20 के मुकाबले 2020-21 में 2,000 के नोट ढाई गुना से ज्यादा, 500 और 200 रुपए के नोट साढ़े तीन गुना ज्यादा खराब हुए।
जम कर किया सैनेटाइज नहीं तो पानी से धोया :- पंजाब नेशनल बैंक वर्कर्स यूनियन महामंत्री कमलेश चतुर्वेदी ने इस गंभीर समस्या पर ध्यान देते हुए बताया कि, कोरोना काल में लोगों ने संक्रमण के डर से नोटों को सैनिटाइज किया। तमाम लोगों ने धोकर प्रेस तक कर दिया। इससे नोटों की हालत खराब हो गई। ज्यादा मूल्य वर्ग के नोटों को लोगों ने सैनिटाइज करके काफी-काफी दिनों तक के लिए रख दिया, जिससे गलने लगे। खराब होने की प्रमुख वजह यही है। छोटे मूल्य के नोट प्रतिदिन एक से दूसरे हाथों में पहुंचते रहते हैं, इसलिए हवा से ज्यादा खराब नहीं हुए।
बड़े नोटों ने छोड़ा अपना रंग :- रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार जार किए आंकड़ों को अगर देखेंगे तो समझ जाएंगे कि कितने नोट कोरोना वायरस की डर से फीके पड़ गए। हम दो हजार के नोट की बात करते हैं, वर्ष 2018-19 में 06 लाख, वर्ष 2019-20 में 1768 लाख और वर्ष 2020-21 में 4548 लाख नोट खराब हो गए। पांच सौ रुपए के नोट वर्ष 2018-19 में 154 लाख, वर्ष 2019-20 में 1645 लाख और वर्ष 2020-21 में 5909 लाख नोट खराब हो गए। अब अगर सौ रुपए के नोट की बात करें तो वर्ष 2018-19 में 3794 लाख, वर्ष 2019-20 में 44793 लाख और वर्ष 2020-21 में 42433 लाख नोट खराब हुए। 200 रुपए के नोट की बात करें तो वर्ष 2018-19 में 01 लाख, वर्ष 2019-20 में 318 लाख और वर्ष 2020-21 में 1186 लाख नोटों ने अपना रंग छोड़ दिया।
छोटे नोटों पर असर कम पड़ा :- अब आए छोटे नोटों पर, पचास रुपए वाले नोट वर्ष 2018-19 में 8352 लाख, वर्ष 2019-20 में 19070 लाख और वर्ष 2020-21 में 12738 लाख की हालात खराब हो गई। 20 वाले नोट वर्ष 2018-19 में 11626 लाख, वर्ष 2019-20 में 21948 लाख और वर्ष 2020-21 में 10325 लाख नोट खराब हुए। 10 वाले नोट वर्ष 2018-19 में 65239 लाख, वर्ष 2019-20 में 55744 लाख और वर्ष 2020-21 में 21999 लाख नोट खराब हुए। 5 वाले नोट वर्ष 2018-19 में 591 लाख, वर्ष 2019-20 में 1244 लाख और वर्ष 2020-21 में 564 लाख नोट खराब हुए।

Hindi News / Kanpur / आखिरकार कोरोना के डर से क्यों उड़ रहे नोटों के रंग, आरबीआई ने किया खुलासा

ट्रेंडिंग वीडियो