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कानपुर

यहां मंदिर के पत्थरों से टपकती बूंदें बताती हैं मानसून की भविष्यवाणी, कभी नहीं होती है गलत

Weather Forecast Temple Kanpur: कानपुर के गांव में एक ऐसा मंदिर है, जो मौसम की भविष्यवाणी पहले ही कर देता है। यहां अचानक टपकने वाली बूंदें ने केवल मानसून बल्कि मानसून की तीव्रता का भी बताती हैं।

कानपुरMay 13, 2022 / 04:39 pm

Snigdha Singh

Jagannath Temple Kanpur which sign Mansoon Weather Forecast

Jagannath Temple Kanpur which sign Mansoon Weather Forecast

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में एक ऐसा प्राचीनतम मंदिर है, जो मौसम का पूर्वानुमान बताता है। अभी तक इस मंदिर की भविष्यवाणी कभी गलत नहीं हुई है। इस मंदिर है भगवान जगन्नाथ का। यह मंदिर कानपुर छोटे से गाँव में स्थित यह मंदिर अनेकों रहस्यों से भरा हुआ है क्योंकि न तो किसी को यह पता है कि मानसून की भविष्यवाणी करती हुई पत्थर से टपकती जल की बूँदें कहाँ से आती हैं और न ही किसी को यह ज्ञात है कि इस मंदिर का निर्माण कब और किसने कराया। ज्ञात है तो सिर्फ इतना कि भगवान जगन्नाथ का यह मानसून मंदिर हजारों ग्रामीणों को अपने कृषि कार्य को समय पर शुरू करने की सहूलियत प्रदान करता है।
क्या है जगन्नाथ मंदिर का इतिहास

कानपुर के भीतरगाँव विकासखंड मुख्यालय से तीन किलोमीटर पर बेंहटा गाँव में स्थित भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर के निर्माण काल के विषय में इतिहासकारों और पुरातत्वविदों में मतभेद है। गर्भगृह के भीतर और बाहर जो चित्रांकन किए गए हैं, उनके अनुसार इस मंदिर को दूसरी से चौथी शताब्दी का माना जाता है। मंदिर में कुछ ऐसे निशान मौजूद हैं, जिनसे पता चलता है कि यह मंदिर सम्राट हर्षवर्धन के समय का है। हालाँकि इसके अलावा मंदिर में उपस्थित अयागपट्ट के आधार पर कई इतिहासकार इस मंदिर को लगभग 4,000 साल पुराना बताते हैं। हालाँकि मंदिर में आखिरी बार 11वीं शताब्दी में जीर्णोद्धार कराए जाने की जानकारी मिलती है।
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सूखे पत्थर आचानक से टपकने लगते

जगन्नाथ मंदिर मानसून की भविष्यवाणी के लिए देशभर में जाना जाता है। भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के एक ऊपर एक ऐसा चमत्कारी पत्थर लगा हुआ है, जहाँ से जल की बूँदें टपकती हैं। पूरे साल सूखे रहने वाले इस पत्थर से मानसून आगमन के 7-15 दिन पहले बूँदों का रिसाव शुरू हो जाता है। आश्चर्य की बात है कि जब पूरा इलाका गर्मी से जूझ रहा होता है, तब मंदिर के इस पत्थर से जल की बूँदों का टपकना किसी रहस्य से कम नहीं है। हालाँकि मानसून शुरू होते ही बूँदों का रिसाव बंद हो जाता है।
इन बूँदों का आकार मानसून की तीव्रता के बारे में बताता है। अगर जल की बूँदे आकार में बड़ी रहीं तो मानसून के बेहतर रहने का अनुमान लगाया जाता है और छोटी बूँदें मानसून में कमी को बताती हैं। आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि मानसून के विषय में इस मंदिर द्वारा की गई भविष्यवाणी कभी गलत हुई हो। प्रदेश के लाखों किसानों को मौसम विभाग से ज्यादा इस मंदिर पर भरोसा है। अब इस मंदिर को देखने के लिए विदेशों से भई लोग पहुंचे हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण

कानपुर के इस मानसून मंदिर के निर्माण के विषय में ग्रामीणों का मत है कि इसका निर्माण कई सहस्त्राब्दियों पहले महाराजा दधीचि ने कराया था और इस मंदिर के सरोवर के किनारे में भगवान राम ने अपने पिता महाराजा दशरथ का पिंडदान भी किया था, जिसके बाद से यह सरोवर रामकुंड कहा जाने लगा।

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