इंजीनियर बीएम शुक्ला ने बताया कि इस वेबसाइट में पुराने सभी ग्रंथों में विज्ञान की भरमार है। दरअसल, संस्कृत भाषा के कारण वैज्ञानिक व युवा पीढ़ी ग्रंथों से दूर भाग रहे है। बढ़ रही दूरी को ही खत्म करने के लिए नई शुरुआत हुई है। इसके लिए वर्ष 2009 में वेबसाइट की शुरुआत की। सभी वेद, उपनिषद समेत अधिकतर ग्रंथों को ऑनलाइन कर दिया है। श्लोकों के साथ उनका रोमन में उच्चारण और हिन्दी में अर्थ आता है। वेबसाइट लगातार अपडेट की जा रही है। संस्कृत में लिखे ग्रंथों को अपलोड करने के साथ शब्दकोष में शब्दों की संख्या बढ़ाई गई है।
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अरबों की काली कमाई का खुलासा, एक हफ्ते छापेमारी के बाद 150 करोड़ रुपये किए सरेंडर वेबसाइट में इन भाषाओं के 1.18 लाख शब्द वेबसाइट में कुल 1.18 लाख शब्द हैं। इसमें संस्कृत के 34,000, हिन्दी के 43,000, अंग्रेजी के 32,000 और उर्दू के 9,000 शब्द है। अभी उर्दू के शब्दों की संख्या कम है। आगे अपग्रेड होने पर इनको भी बढ़ाया जाएगा। वहीं, साधारण बोलचाल के 3,000 शब्द हैं।
ये ग्रंथ हैं उपलब्ध वेबसाइट में शाब्दिक उच्चारण के साथ अलग ग्रंथ है। जिसमें चारों वेद, वेदांत, दर्शन शास्त्र, आयुर्वेद, 220 उपनिषद, अष्टावक्र गीता, शंकराचार्य के तत्वबोध, आत्मबोध व पंचदशी, अष्टाध्यायी, रावणशास्त्र उपलब्ध हैं।