जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भरत दिनेश बताते हैं कि चीन के पास विश्व की तीसरी सबसे बड़ी शिपिंग कंपनी है। चीन से बढ़ी हुई फ्रेट दरों के जवाब में कई शिपिंग वाहक अब भारतीय बंदरगाहों पर कार्गो का ट्रांसशिपमेंट कर रहे हैं। इससे मालवाहक
कंटेनरों को पहले भारत के बंदरगाहों पर उतारना और फिर उन्हें यूरोप और अमेरिका में अंतिम गंतव्यों के लिए अन्य जहाजों पर पुन: लोड किया जाता है। इससे भारत से उत्पन्न होने वाले माल के कंटेनरों के लिए स्थान की कमी हो गई है। इस स्थिति ने भारतीय निर्यातकों को नुकसान में डाल दिया है।
कंटेनर की कमी से सता रहा डर
निर्यातक रोहित जोशी बताते हैं कि कई छोटे निर्माताओं को बड़े निर्यातक काम देते थे। अब नए ऑर्डर नहीं मिलने से काम काफी प्रभावित हुआ है। कई छोटे उद्यमी जो लोन लेकर काम करते थे वे किस्त तक नहीं चुका पा रहे। लेदर एक्सपोर्टर प्रकाश सांखला बताते हैं कि ऑर्डर होल्ड पर रखने से छोटे उद्यमी काफी प्रभावित हैं। अक्टूबर के बाद हैंडीक्राफ्ट सेक्टर में सीजन पीक पर आता है, लेकिन कंटेनर की कमी से डर सता रहा है।
शिपिंग कॉर्पोरेशन का ऑयल पर फोकस
शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, जिसका एक्सपोर्ट सेक्टर में ज्यादा फोकस ऑयल इंडस्ट्री पर है। वरिष्ठ हैंडीक्राफ्ट निर्यातक राधेश्याम रंगा बताते हैं कि पिछले दो माह में स्थिति ज्यादा खराब हुई है। अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाकर भारत सरकार को रेड-सी एरिया पर काम करना चाहिए, जिससे पूरे एशिया का एक्सपोर्ट सेक्टर लाभांवित होगा।
चीन ने माल भाड़ा बढ़ा दिया
तीसरी बड़ी शिपिंग कंपनी होने से चीन ने माल भाड़ा बढ़ा दिया है। चीन में माल उतारना अब ज्यादा महंगा है। इस कारण ट्रांसशिपमेंट बढ़ा है और आस-पास के देशों की कंपनियां भी भारत के बंदरगाहों पर माल उतारने लगी है। इससे भारत के माल को कंटेनर की कमी हो रही है।