राजस्थान के भीलवाड़ा की फैब्रिक कम्पनी ने लोन लेने के बाद एसबीआइ में 14.20 करोड़ रुपए का घोटाला किया। लोन लेने के बाद राशि को दोनों डायरेक्टर भाइयों ने निजी खातों में डालकर उपयोग में ले ली। जांच में घोटाला उजागर होने पर बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक की रिपोर्ट पर सीबीआई जोधपुर ने एफआइआर दर्ज की।
सूत्रों के अनुसार एसबीआइ भीलवाड़ा के क्षेत्रीय प्रबंधक अविनाश पाटोदी ने गत 10 जनवरी को घोटाले के संबंध में लिखित शिकायत दी थी। इसकी जांच के बाद सीबीआई ने भीलवाड़ा के बिलिया में रीको द्वितीय औद्योगिक क्षेत्र स्थित शिवराम सिंथेटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, डायरेक्टर प्रवीण कुमार सुरोलिया पुत्र युगल किशोर व उसके भाई और डायरेक्टर प्रशांत सुरोलिया के खिलाफ धोखाधड़ी, गबन व भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं में मामला दर्ज किया है। निरीक्षक नवल किशोर को जांच सौंपी गई है।
आरोप है कि शूटिंग फैब्रिक बनाने वाली कम्पनी ने वर्ष 2015 में भीलवाड़ा के इंदिरा मार्केट की ई-एसबीबीजे (एसबीआई) में सम्पर्क किया था। बैंक से 6 जनवरी 2015 को 8.25 करोड़ की कैश लिमिट और स्टैण्ड बाइ लाइन ऑफ क्रेडिट एसएलसी के 50 लाख रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया था। कम्पनी के आग्रह पर 16 मार्च 2016 को कैश लिमिट 10 करोड़ और 5 अक्टूबर 2017 को एसएलसी 1.50 करोड़ रुपए बढ़ा दी गई थी। 24 दिसम्बर 2018 को कैश लिमिट 11.5 करोड़ और एसएलसी 1.50 करोड़ हो गई थी। 11 फरवरी 2020 को सोलर टर्म लोन के 60 लाख रुपए जारी किए गए थे।
24 अप्रेल 2020 को कॉमन कोविड इमरजेंसी क्रेडिट लिमिट सीसीईसीएल के 1.15 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। मई 2020 में 2.40 करोड़ रुपए गारंटीड आपातकालीन क्रेडिट लाइन जीइसीएल के स्वीकृत किए गए थे। तब कम्पनी का कुल एक्सपोजर 15.65 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। मार्च से अगस्त 2020 तक ब्याज चुकाया गया था। कोविड की दूसरी लहर के दौरान जनवरी 2022 में जीईसीएल के 1.15 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए।
खाता में एनपीए में बदला
इस बीच बेंक की ओर से लोन 15.02 करोड़ पहुंच गया था। तब लेन-देन में गड़बड़ी होने का संदेह हुआ। कई तरह के घोटाले किए जाने लगे थे। 30 अप्रेल 2024 को कम्पनी का खाता एनपीए में बदल गया।
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बैंक की जांच में घोटाला सामने आया
एनपीए होने के बाद बैंक की एफआइसी ने कम्पनी और डायरेक्टरों से जुड़े बैंक खातों की जांच की। घोटाला सामने आने पर 15 मई 2024 को खाते को धोखाधड़ी वाला घोषित किया गया। फोरेंसिंक ऑडिट में भी दोनों भाइयों की ओर से परिवार के लोगों व एक अन्य फर्म में राशि ट्रांसफर करने की पुष्टि हुई थी।