हमें देख लो, फिर बेटी को पढ़ाओ सीमा सुरक्षा बल की सहायक समादेष्टा, तनुश्री पारीक ने बताया कि गांवों में हम अपना ही उदाहरण दे कर समझाते हैं, कि बेटियां किसी से कम नहीं होती। टीम में हिंदी सभी को आती है लेकिन मैं बीकानेर से हूं इसलिए मारवाडी में अनुवाद कर ग्रामीण महिलाओं को समझाती हूं कि वो अपनी बेटियों को पढाएं । दल का अनुभव यही है कि महिलाएं मान चुकी हैं कि वे पुरूषों से कमतर हैं। उनमें आत्म विश्वास जगाने की जरूरत है।
हम नहीं पढ़े, बेटियों को पढ़ाएंगे
गुंजनगढ की महिलाओं से बात करके जब वहां से निकले तो हमारे पास बीएसएफ कार्यालय से फोन आया कि कुछ महिलाएं आई है जो बेटियों को पढाना चाहती है उनका कहना है हम नहीं पढ़ पाए लेकिन मेरी बेटी आगे बढे़ यह सुनते ही हमारी टीम बहुत खुश हुई हमें लगा हमारी मेहनत रंग ला रही है।