वर्ष 2023 में कपास की बुवाई में हुआ नुुकसान
जोधपुर जिले में वर्ष 2023 में कपास की बुवाई का रकबा 80 हजार हेक्टेयर से अधिक था। पर कपास की फसल को रोग लगने की वजह से पैदावार बहुत कम हुई। फिर कपास चुनने की मजदूरी देनी पड़ती है। यह भी कपास की खेती में आई लागत में जुड़ता है। वर्ष 2022 के मुकाबले वर्ष 2023 में बाजार भाव में भारी गिरावट आई थी, जिस वजह से कपास के किसानों को नुकसान उठाना पड़ा।
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इस बार भी कपास के किसानों में एक डर है। इस बार मई महीने में तेज गर्मी और असामान्य तापमान का असर जून महीने तक रहा है। जिसकी वजह से कपास की फसल बुवाई इस सीजन में देर से हुई। यह कपास की फसल की बुवाई में देरी की सबसे बड़ी वजह है। कपास की खेती की लागत किसानों को सोचने पर मजबूर कर देती है।
रोग कीट से बचने का करें उपाय
भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री तुलछाराम सिवर ने बताया कि किसान अनुभवी किसानों व विशेषज्ञों से सलाह लेकर पूर्व में ही रोग कीट से बचने के उपाय करें। राजस्थान में 6.72 लाख हेक्टैयर में होती है कपास की खेती
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार विश्व में भारत का कपास उत्पादन क्षेत्र में प्रथम स्थान है। देश में करीब 133.41 लाख हेक्टैयर तथा
राजस्थान में 6.72 लाख हेक्टैयर में कपास की खेती की जाती है।