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जोधपुर में नहीं ली जाएगी पेड़ों की ‘बलि’, चल रहा है री-ट्रांसप्लांट, 2 साल पहले लगा था ‘झटका’, जानें मामला

जोधपुर शहर में सड़क को चौड़ा करने के लिए बीच में आ रहे पेड़ों को काटने की बजाय दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है

जोधपुरJan 15, 2025 / 02:42 pm

Rakesh Mishra

Re-transplant in Jodhpur
Jodhpur News: आमतौर पर विकास के नाम पर प्रकृति की बलि ले ली जाती है। हरे-भरे पेड़ काट दिए जाते हैं, लेकिन राजस्थान के जोधपुर में एमडीएम अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में अच्छा उदाहरण पेश किया है। यहां सड़क को चौड़ा करने के लिए बीच में आ रहे पेड़ों को काटने की बजाय दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है। चार पेड़ शिफ्ट किए जा चुके हैं। बाकी पेड़ भी शिफ्ट किए जाएंगे।
एमडीएम अस्पताल में ही कार्यरत नर्सिंग अधिकारी भवानी शंकर नायक एवं देवराज चौहान को सड़क चौड़ा करने के दौरान पेड़ों को काटे जाने की जानकारी मिली। उन्होंने मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. बीएस जोधा से वार्ता की। जोधा ने अधिकतम पेड़ों को बचाने की बात की। इसके बाद भामाशाह निर्मल गहलोत से संपर्क किया गया। उन्होंने मशीनरी व संसाधन उपलब्ध करवा बड़े पेड़ों को सड़क सीमा से हटा कर जनाना गार्डन में शिफ्ट करवाया। देवराज चौहान ने बताया कि शिफ्ट किए गए पेड़ों का संरक्षण के लिए अस्पताल स्टाफ पूरा प्रयास करेगा।

जब फेल हो गया था री-ट्रांसप्लांट

आपको बता दें कि पेड़ों का री-ट्रांसप्लांट काफी मुश्किल काम काम है। दरअसल करीब दो साल पहले जोधपुर नगर निगम ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (न्यू कैंपस) में बन रहे नाले के निर्माण में बाधा बने 217 पेड़ों को काट दिया था।
तकनीकी खामियों के चलते इन पेड़ों के री-ट्रांसप्लांट भी सफल नहीं हो पाया और करीब 200 हरे-भरे पेड़ सूख गए। नगर निगम की ओर से काटे गए 217 पेड़ों में से अधिकतर नीम के थे। नीम का पेड़ एक दिन में 20 घंटों से ज्यादा समय तक ऑक्सीजन देता है। ज्यादा पत्तियां होने से पीपल भी अन्य पेड़ों के मुकाबले ज्यादा ऑक्सीजन देता है।

एक साल में देता है 30 लाख की ऑक्सीजन

एक रिसर्च के अनुसार एक स्वस्थ पेड़ साल में 100 किग्रा तक ऑक्सीजन देता है। इसकी कीमत 30 लाख रुपए से भी ज्यादा होती है। वहीं, एक व्यक्ति को एक साल में 740 किग्रा ऑक्सीजन की जरूरत होती है। अमरीका के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन की रिसर्च के मुताबिक दुनिया में पेड़-पौधों की करीब 50 हजार ऐसी प्रजातियां हैं, जिनसे दवाइयां बनाई जा सकती हैं।

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