एमबीएम विवि के पास खुद का कैंपस तक नहीं है। तीनों अधिकारी जेएनवीयू के स्वामित्व वाले कैंपस में ही बैठकर कागजी कामकाज निपटाते हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने ६ जनवरी को एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज के समस्त 10 विभागों की चल व अचल परिसंपमियों के अलावा उनके दायित्व एमबीएम विवि को हस्तांरित करने की अनुमति दी थी लेकिन आधे-अधूरे आदेश के कारण एक महीने बाद भी जेएनवीयू और एमबीएम विवि के बीच हैंड ऑवर-टैक ऑवर नहीं हो सका है।
तीन दिन पहले जेएनवीयू के दीक्षांत समारोह को वर्चुअली संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार रिफाइनरी को देखते हुए पेट्रोलियम इंजीनियरिंग शुरू कर रही है। इसके लिए एमबीएम को विश्वविद्यालय बनाया गया है लेकिन वास्तव में एमबीएम तकनीकी विवि है ही नहीं। यह एक सामान्य संकाय विवि बना है जहां कला, वाणिज्य व विज्ञान संकाय बनाने होंगे। उल्टा एमबीएम से इंजीनियरिंग शब्द ही हटा दिया गया है।
……………………
-प्रो अजय शर्मा, कुलपति, एमबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर ‘हमारी सिण्डीकेट ने जो प्रस्ताव पारित किए थे, वे सरकार ने अब तक मंजूर करके नहीं भेजे हैं। आधे-अधूरे आदेशेां से व्यवधान बढ़ेगा।’
– प्रो पीसी त्रिवेदी, कुलपति, जेएनवीयू जोधपुर