मनुष्य सुरक्षित रहेगा
सामान्यत: पराबैंगनी किरणें शरीर में त्वचा के जरिए अंदर प्रवेश करके कैंसर का कारण बनती हैं। आईआईटी जोधपुर की ओर से विकसित 222 नैनोमीटर की यूवी शरीर की त्वचा को नहीं भेद पाएगी। त्वचा में मौजूद प्रोटीन ही इस रेंज की यूवी को अवशोषित कर लेगा। यानी इंसान इस बल्ब के सम्पर्क में आने के बावजूद सुरक्षित रहेगा। यह भी पढ़ें – शिक्षा विभाग का अनोखा फरमान, अब निजी स्कूलों में बढ़ेगा नामांकन, शिक्षक संगठनों ने जताया एतराज पर्यावरण फ्रैंडली तकनीक विकसित की
वहीं इस बल्ब में अक्रिय गैस क्रिप्टोन व क्लोराइड का इस्तेमाल किया है, बाजार में मौजूद यूवी लैंप में पारा जहरीला भरा होता है। यह पर्यावरण फ्रैंडली तकनीक विकसित की है। इसे अपस्केल करेंगे।
कृषि योग्य बन जाता है पानी
आईआईटी जोधपुर के भौतिकी विभाग के प्रोफेसर राम प्रकाश के नेतृत्व में पीएचडी शोधार्थी किरण अहलावत और रामावतार जांगड़ा ने मिलकर 222 नैनोमीटर क्रिप्टोन क्लोराइड एक्साइमर पराबैंगनी प्रकाश स्रोत का विकास किया है। इस विधि से रिएक्टिव ब्लैक 5 (RB5) जैसी डाईज को आसानी से तोड़ा जा सकता है और पानी कृषि योग्य बन जाता है।