गौरतलब है कि सैनिक एवं पूर्व सैनिक बाहुल्य क्षेत्र के रूप में शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र राजस्थान में झुंझुनू के बाद दूसरे स्थान पर आता है। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर भारत-पाक, भारत-चीन, श्रीलंका, बांग्लादेश, ऑपरेशन कारगिल युद्ध सहित समय-समय पर देश के लिए लड़ते हुए इस धरती के वीर सपूतों ने अपने प्राणों को न्यौछावर किया था। उनकी याद में आज भी शेरगढ़ के संगम स्थल फलोदी रोड फाटा पर बने शहीद स्मारक पर आमजन सिर झुका कर शहीदों को सलाम करते हैं।
8420 गौरव सेनानी शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बालेसर सहित गांव गांव में वर्तमान में 8420 गौरव सेनानी हैं, जिन्होंने भारतीय सेना में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वहीं थल जल और वायु सेना में करीब 5540 सैनिक वर्तमान में सेना में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। यही नहीं गांव-गांव में युवा फौज में जाने के लिए तत्पर हैं और सुबह शाम सेना की भर्ती में जाने के लिए अभ्यासरत हैं।
63 वीर सपूतों ने दी शहादत शेरगढ़ की धरती के 63 वीर सपूतों ने देश की रक्षा के लिए दुश्मन से लड़ते-लड़ते शहीद हुए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा भारत-पाक, भारत-चीन एवं श्रीलंका की लड़ाई में यहां के वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की आन बान और शान के लिए रक्षा की। इन वीर शहीदों पर शेरगढ़ ही नहीं पूरे देश को गर्व है।
30 वीर सपूत विभिन्न मेडल से सम्मानित सैनिक कल्याण बोर्ड के सूबेदार खेत सिंह बताते हैं कि शेरगढ़ मैं 30 वीर सपूत जिनको जीवित या मरणोपरांत विभिन्न सेना मेडल से सम्मानित किया गया है, जिनमें सेखाला के राइफलमैन धोकल सिंह को भारत-पाक युद्ध में शहीद होने पर मरणोपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया था। भारत-पाक 1971 के युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देने एवं भारत की विजय होने पर गड़ा गांव के ब्रिगेडियर उदय सिंह को जीवित महावीर चक्र से तत्कालीन राष्ट्रपति ने सम्मानित किया था। ढांढणिया के शहीद सूबेदार गंगाराम चौधरी दक्षिण अफ्रीका में भारतीय शांति सेना के रूप में उग्रवादियों से लोहा लेते हुए शहीद होने पर तत्कालीन राष्ट्रपति ने 1994 में मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया था। इस तरह से कई वीर जवान शौर्य चक्र, विशिष्ट सेना मेडल, सेना मेडल, मेंशन इन डिस्टेंस सहित अन्य मेडल से सम्मानित किया गया है।
22 विद्यालयों का नामकरण शहीदों के सम्मान में राज्य एवं केंद्र सरकार की नीति के अनुसार शहीद के नाम पर गांव एवं विद्यालय का नामकरण में जिला सैनिक बोर्ड शेरगढ़ द्वारा 40 प्रस्ताव भेजे गए थे, जिनमें से 22 स्कूलों का नाम शहीदों के नाम से हो गया है। 18 फाइलें अभी पेंडिंग है। 25 फाइलों में कई प्रकार की समस्याएं आने से अभी आगे नहीं बढ़ी है। शेरगढ़ का नाम सैनिकों की धरती एवं शहीदों के बलिदान के रूप में देश में सुविख्यात हैं इन गौरव सेनानियों एवं शहीदों के बच्चे आज भी देश की सेवा में जाने के लिए जज्बा रखते हैं, लेकिन विडंबना है कि यहां पर न तो सैनिक स्कूल हैं और नहीं केंद्रीय विद्यालय। इनके अभाव में गौरव सेनानियों एवं सैनिकों के बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित हैं। सैनिक कल्याण बोर्ड के सूबेदार खेत सिंह बताते हैं कि ब्रिगेडियर उदय सिंह ने शेरगढ़ में केंद्रीय विद्यालय खुलवाने के लिए काफी प्रयास किया था। तिवरी में केंद्रीय विद्यालय खुल गया है, लेकिन शेरगढ़ बालेसर सैनिक बहुल क्षेत्र आज भी इस सुविधा से वंचित है।
रक्षा मंत्री से उम्मीद जागी 28 जून को बालेसर में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आएंगे। शेरगढ़ के पूर्व सैनिक परिषद एवं पूर्व सैनिकों ने बताया कि राज्य एवं केंद्र सरकार के कई मंत्रियों, मुख्यमंत्री से शेरगढ़ में केंद्रीय विद्यालय या सैनिक स्कूल खुलवाने की कई बार मांग की गई है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 28 को बालेसर आएंगे तो शेरगढ़ के सैनिकों एवं पूर्व सैनिकों सहित शहीदों के लिए सैनिक स्कूल या केंद्रीय विद्यालय के रूप में सौगात लेकर आएंगे, तभी शेरगढ़ के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।