दरअसल विश्व मौसम संगठन (world meteorological organization) के नेतृत्व में पूरे विश्व में 6 रीजनल स्पेशलाइज्ड मेट्रोलॉजिकल सेंटर (आरएसएमएससी) और 5 रीजनल ट्रॉपिकल साइक्लोन वार्निंग सेंटर बने हुए हैं। भारत भी एक आरएसएमएससी का सदस्य है, जिसमें सदस्य देश उत्तरी हिंद महासागर यानी अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले चक्रवाती तूफान का नामकरण करता है। इस संगठन में वर्तमान में 13 देश शामिल है। भारत के अलावा बांग्लादेश, ईरान, मालदीव, म्यामार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, यूनाइटेड अरब अमीरात और यमन है।
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13 देशों ने दे रखी है 163 नाम की सूची भारतीय प्रायद्वीप क्षेत्र में चक्रवाती तूफानों के नामकरण की शुरुआत 2004 में हुई थी। सभी देश बारी-बारी से क्षेत्र में आने वाले चक्रवाती तूफान का नामकरण करते हैं। अंग्रेजी में अल्फाबेटिकल क्रम के अनुसार देशों का मौका दिया जाता है। सबसे ऊपर बांग्लादेश है और सबसे अंत में यूएई। वर्ष 2019 में हुई बैठक में सभी 13 देशों ने 13 तूफानों के नाम की सूची सौंपी थी यानी कुल 163 तूफानों की सूची वर्तमान में विश्व मौसम संगठन के पास है। अब तक 14 नाम का उपयोग किया जा चुका है। 15वां तूफान तेज होगा। गत महीने बंगाल की खाड़ी में मोचा तूफान आया था, जिसका नाम यूएई ने रखा था।
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क्यों करते हैं नामकरण लोगों व वैज्ञानिकों में जागरुकता पैदा करने, तूफान का नाम आसानी से याद रखने, प्रभावी ढंग से चेतावनी का प्रचार-प्रसार होने के लिए तूफानों का नामकरण किया जाता है।