झुंझुनूं जिले के नरात गांव के शहीद गोपाल सिंह की पत्नी निर्मला देवी के धैर्य और देशप्रेम यह कहानी सुनकर आज हर कोई भावुक हो जाता है। जम्मू-कश्मीर में राजरेफ की पांचवीं बटालियन में कार्यरत गोपाल सिंह आतंकियों से मुठभेड़ में 6 जुलाई 2000 को शहीद हो गए थे। पिता की शहादत के समय उनके बेटे कंवरपाल सिंह की उम्र महज आठ साल थी। जिंदगी की बेहद मुश्किल घड़ी में भी निर्मला देवी ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने हौसला बटोरा।
पति की याद बनीं ताकत, बेटा भी सेना में गया
पति की यादों को ताकत बनाया और बेटे को शहादत के किस्से-कहानी सुनाकर प्रेरित करती रही। बेटे को सेना में भेजने के लिए दृढ़ संकल्पित शहीद वीरांगना की प्रेरणा का नतीजा यह रहा कि बेटा कंवरपाल भी 2 जुनवरी 2011 में सेना में भर्ती हो गया। वह सिलीगुड़ी में सेना में कार्यरत होकर देश सेवा कर रहा है।
अपने पिता को हीरो मानता है कंवरपाल
कंवरपाल सिंह अपने पिता को हीरो मानता है। उसका कहना है कि पिता नहीं हैं लेकिन उनकी शहादत पर गर्व है। उसकी इच्छा है कि पिता की तरह वह भी समर्पण भाव से देश सेवा करें। पिता के बलिदान और मां के त्याग व प्रेरणा से ही आज उसे यह मुकाम मिला है।