लगभग 15 लाख
(बीएड, बीपीएड, सीपीएड व एसटीसी धारक) इतने पद खाली
तृतीय श्रेणी शिक्षक: 29272
तृतीय श्रेणी पीटीआई: 1895
(हर माह कई शिक्षक रिटायर हो रहे हैं तो पद खाली होते जा रहे हैं)
चुनावी ‘भागदौड़’ के बाद CM भजनलाल की सेंट्रल पार्क में ‘मॉर्निंग वॉक’, बेजुबान पक्षियों के प्रति दिखा प्रेम
इसलिए असमंजसशिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कुछ माह पहले यह संकेत दिए थे कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती एक ही परीक्षा से करवाई जानी चाहिए। इस बयान के बाद लाखों युवा असमंजस में हैं कि वे रीट की तैयारी करें या सीधी भर्ती परीक्षा की। युवाओं का कहना है कि शिक्षक भर्ती के लिए युवाओं को दो परीक्षा देनी पड़ती है, पहले रीट इसके बाद मुख्य शिक्षक भर्ती परीक्षा। बार-बार पेपर लीक होने, आचार संहिता व अन्य कारणों से कई बार ऐसा हुआ है कि लम्बा समय बीतने के बावजूद शिक्षक भर्ती परीक्षा समय पर नहीं हो रही। इसका असर शैक्षणिक कार्य पर भी पड़ता है।
अभी लोकसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता लगी हुई है। ऐसे में जून के पहले सप्ताह तक को भर्ती नहीं निकल सकती है। इसके बाद ही इस पर आगे की कार्रवाई हो सकती है।
2003 में भर्ती का जिम्मा जिला परिषदों से आरपीएससी को दिया।
2004 में आरपीएससी ने शिक्षक भर्ती कराई।
2009 में निशुल्क अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुआ।
2011 में रीट परीक्षा हुई।
2012 में आरपीएससी से जिला परिषदों को भर्ती के अधिकार दिए।
2012 में आरटेट के 20 प्रतिशत अंक लिखित परीक्षा के अंकों में जोड़कर जिला स्तर पर मेरिट बनी।
2013 में आरटेट के 20 प्रतिशत अंक मेरिट में जोड़े गए।
2016 में आरटेट को खत्म कर रीट के माध्यम से भर्ती कराई।
2016 में 70 प्रतिशत रीट के अंक और 30 प्रतिशत स्नातक के अंकों को वेटेज दिया गया।
2022 से रीट को पात्रता परीक्षा घोषित किया।
आगे: शिक्षा मंत्री के बयान के अनुसार एक ही भर्ती से नौकरी देने की तैयारी। खिलाड़ियों को दो प्रतिशत कोटा मिले
शिक्षकों की भर्ती एक ही परीक्षा से होनी चाहिए। इससे समय बचता है। नई भर्ती में खिलाड़ियों को दो फीसदी कोटा दिया जाना चाहिए। रीट का सबसे ज्यादा नुकसान खिलाड़ियों को हुआ है। क्योंकि पिछली कांग्रेस सरकार ने रीट में खिलाड़ियों को कोटा नहीं दिया। अब सीधी भर्ती में खिलाड़ियों को दो फीसदी आरक्षण मिलेगा।
भरत बेनीवाल, अध्यक्ष राष्ट्रीय रोजगार संघ
-उपेन्द्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, शिक्षक संघ शेखावत