इतना कोयला शेष
कालीसिंध पावर प्लांट में प्रतिदिन 15-16 हजार टन कोयले की जरूरत होती है। स्टॉक में अभी 35 हजार टन ही कोयला बचा है। छत्तीसगढ़ के परसा कांटा कोल ब्लॉक से सितंबर से रेगुलर कोयला नहीं आने से परेशानी खड़ी हो गई है। जयपुर से कोयला विभाग को इधर-उधर से व्यवस्था करके कोयला मंगवाना पड़ रहा है। अभी सिंगरोली, महानदी कोल आदि क्षेत्रों सहित अन्य निजी खनन क्षेत्रों से कोयला मंगवा रहे हैं लेकिन यह उच्च क्वालिटी का नहीं मिल पा रहा है। कालीसिंध थर्मल में अभी 35 हजार एमटी कोयला ही शेष है। जो चार दिन के लिए पर्याप्त है। ऐसे में औसतन दो रैक रोज पहुंच रही है। रैक रुकने पर थर्मल में कोयले की कमी हो सकती है।
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यह वर्तमान स्थिति
प्रदेश में बिजली उत्पादन की 23 यूनिट है। इसमें से दस में केवल एक दिन का कोयला बचा है और इनसे हर दिन 2500 मेगावाट बिजली मिल रही है। इसके अलावा बाकी यूनिट में भी 2 से 4 दिन के कोयले का स्टॉक है।
छत्तीसगढ़ में आवंटित खदान से खनन में एक बार फिर अड़ंगा लगने से परेशानी और बढ़ गई है। इससे कोयला संकट गहरा गया।
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से राजस्थान को परसा कोल ब्लॉक में आवंटित खदान से कोयला नहीं मिल रहा है। ये छग सरकार के स्तर का कुछ इश्यू बताया गया है। वहां 841 हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र के इस नए परसा कोल ब्लॉक से कोयले का उत्पादन हो तो प्रदेश को प्रतिदिन पर्याप्त रैक कोयले की मिल सकेगी। वहीं 5 मिलियन टन प्रतिवर्ष कोयले का उत्पादन होगा। इस नए ब्लॉक से कोयले की सालाना एक हजार रैक मिलेगी।
अभी तो यूनिट चल रही
कोयले की औसत दो रैक रोज आ रही है। अभी दो से तीन दिन के कोयले का स्टॉक है। अभी तो दोनों यूनिट चल रही है।
केएल मीणा, चीफ इंजीनियर, कालीसिंध थर्मल, झालावाड़
ऊर्जा विभाग से कटौती
प्रदेशभर में विद्युत कटौती से लोग त्रस्त हैं। सूत्रों ने बताया कि विद्युत कटौती प्रदेशस्तर से ऊर्जा विभाग द्वारा की जा रही है। ऊर्जा विभाग से ही विद्युत की ट्रेडिंग होती है। वहां से ही तय होता है कि कितने समय कटौती करनी है।