हाड़ौती के तीन जिलों झालावाड़, बारां व कोटा के लिए महत्वकांक्षीपरवनव्रहदबहुउद्देश्यीय परियोजना के अंतर्गत अकावद कलां में परवन नदी पर बांध का काम द्रुतगति से चल रहा है। वहीं इसी परियोजना में दाईं मुख्य नहर के लिए बनाई गई देश की सबसे बड़ी वाटर टनल की खुदाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। इस वाटर टनल की लंबाई 8.75 किलोमीटर है। इसी टनल से दाईं मुख्य नहर निकलेगी जिससे बारां जिले में करीब 90 किमी एरिया में सिंचाई हो सकेगी। फिलहाल बांध के 5 गेट तैयार हो चुके हैं जबकि अन्य का निर्माण कार्य प्रगति पर है। परवन बांध 38 मीटर ऊंचा 490 मिलियन घन क्षमता का है।
इस बहुउद्देश्यीय परियोजना से तीन जिलों के 637 गांवों में 2.02 लाख हैक्टेयर में स्काडा नियंत्रित प्रेशराइज्ड पाइप द्वारा फव्वारा पद्धति के माध्यम से सिंचाई सुविधा मिलेगी। साथ ही 1821 गांवों में पेयजल, विद्युत उत्पादन तथा वन्यजीवों के लिए जल उपलब्ध करवाया जाएगा। दाईं मुख्य नहर 8.75 किलोमीटर टनल से होती हुई बारां जिले में 89.40 किलोमीटर क्षेत्र में सिंचाई का पानी पहुंचाएगी। इसमें कुल 61 डिग्गियों बनेगी। इसमें 19 बाईं व 33 डिग्गियां दाएं क्षेत्र में रहेगी। 9 डिग्गियां से शेरगढ़ अभयारण्य क्षेत्र में सिंचाई व पेयजल उपलब्ध करवाया जा सकेगा।
डिग्गी से खेत तक पहुंचेगा पानी
जानकारी के अनुसार परवन बांध की बाईं मुख्य नहर 51.95 किलोमीटर की रहेगी। इसमें प्रथम चरण के अंतर्गत खुदाई का कार्य 90 फीसदी ही पूर्ण हो गया है। खानपुर क्षेत्र में 38 किलोमीटर में 12 डिग्गियां, सारोलाकलां, चंडालिया, सारोला खुर्द, डूंगरपुर, सोजपुर, पिपलाज, देवपुरा, बैसार, सूमर, कंवरपुरा मंड, सूमर बोहरा और सांगोद क्षेत्र में 14 किलोमीटर में 7 डिग्गिया डोबड़ा, बुलाहेड़ा़, नयापुरा, लसाडि़या कलां, लसाडिया खुर्द, दिल्लीपुरा में बनाई जाएगी। नहरों से पाइप के जरिए पानी डिग्गी पम्प हाउस पहुंचेगा जहां से क्षेत्रवार 3000 हैक्टेयर भूमि में पाइप लाइनों के जरिए सिंचाई होगी। खानपुर तहसील के 81 व सांगोद के 48 गांवों को प्रथम फेज में 43 हजार 159 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का पानी मिल सकेगा।
फरवरी तक हो सकता है बांध का पूरा काम
जानकारी के अनुसार परवन बांध में 15 ओवरफ्लो 6 नॉन ओवरफ्लो कुल 21 ब्लॉक है सभी ब्लॉक का कार्य खुदाई कार्य पूर्ण किया जा चुका है। बांध का अधिकांश निर्माण कार्य फरवरी 2025 में पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है। इससे पहले यह कार्य जून 2024 में पूर्ण किया जाना प्रस्तावित था। परवन बांध में 15 ओवरफ्लो ब्लॉक है जिनका निर्माण कार्य प्रकियाधीन है जबकि बांध गैलरी का निर्माण कार्य पूर्ण किया चुका है।
राजस्थान का चौथा सबसे बड़ा बांध
भराव क्षमता के मामले में यह राजस्थान का चौथा सबसे बड़ा बांध है जिसकी कुल भराव क्षमता 492 मिलियन क्यूबिक मीटर है। भराव क्षमता 490 मिलियन क्यूबिक मीटर रहेगी जिसमें से 462 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी लाइव स्टोरेज काम में लेने योग्य होगा तथा शेष 28 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बांध के डेड स्टॉक में रहेगा। यानी यह पानी सिर्फ बाद में भर रहेगा किसी काम में नहीं लिया जा सकेगा। 317 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी सिंचाई के लिए काम में लेने के लिए सप्लाई किया जाएगा जिसमें झालावाड़, कोटा और बारां जिलों के 673 गांवों की दो लाख एक हज़ार हैक्टेयर जमीन सिंचित हो पाएगी, 50 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी 1821 गांव में पेयजल की सप्लाई के लिए दिया जाएगा। 16 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी शेरगढ़ सेंचुरी के लिए आरक्षित रहेगा शेष 79 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड एवं छबड़ा के मोतीपुरा स्थित पावर प्लांट के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा। बांध का भराव क्षेत्र 25 वर्ग किलोमीटर है जो राजस्थान से मध्य प्रदेश तक फैला है। बांध की कुल लंबाई 378 मीटर तथा ऊंचाई 38 मी निर्धारित की गई है।
उजाड़ नदी में डाला जाएगा पानी
बाईं मुख्य नहर से सारोला कलां में स्थित मुख्य खाळ से खरंड नदी व द्वितीय फेज में गांव फुंगाहेड़ी में उजाड़ नदी में पानी डालकर क्षेत्र के देवली डांडिया धुलेट हरिश्चंद्र सागर केनाल सीएडी प्रथम व द्वितीय फुंगाहेड़ी भीमसागर नहरों को जोड़कर 45 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई का पानी उपलब्ध करवाया जाना प्रस्तावित है।
बांध : फैक्ट फाइल
7 हजार 355.23 करोड़ रुपए की लागत 38 मीटर ऊंचा 490 मिलियन घन मीटर क्षमता 5 गेट तैयार, अन्य का कार्य प्रगति पर 29 मई 2017 निर्माण कार्य प्रारंभ 28 मई 2021 तक पूर्ण करने की तिथि 26 दिसंबर 2023 तक निर्माण अवधि बढ़ाई अब जून 2025 तक निर्माण पूर्ण होना प्रस्तावित अब परियोजना के काम को गति दी जा रही है, जैसे-जैसे बजट मिल रहा है, कार्य करा रहे हैं। बांध का काम 2022 में पूरा होना था, लेकिन अब यह 2025 में पूरा हो सकेगा। मुख्य समस्या नहरों के लिए खेतों के खाली होने की है। बजट लगातार मिलता रहा तो वर्ष 2026 में परियोजना के सभी कार्य पूरे हो जाएंगे।
डीएन शर्मा, अधीक्षण अभियंता, परवन वृहद सिंचाई परियोजना, झालावाड़