वर्ष 2020-21और 2021-22 में भावों में लगातर गिरावट के चलते किसानों का लहसुन की फसल से मोह भंग हो गया था। वर्ष 2021-22 में तो लहसुन के भाव लुढ़क कर सबसे निचले स्तर पर आ गए थे। इन दो सालों में लहसुन मंडियों में 100 से 150 रुपए प्रति क्विंटल तक बिका। इससे मायूस कई किसानों ने लहसुन को मवेशियों को खिला दिया या फिर सड़कों पर फैंक दिया। किसानों ने समर्थन मूल्य पर इसकी खरीद की मांग की थी, लेकिन राज्य सरकार की लेटलतीफी के कारण खरीद नहीं हो पाई। पिछले साल ऐतिहासिक उछाल- वर्ष 2022-23 में लहसुन के भावों में ऐतिहासिक उछाल आया। इस वर्ष अच्छी गुणवत्ता का लहसुन 51 हजार रुपए प्रति क्विंटल के उच्चतम भावों पर बिका। इसका औसत भाव 21 हजार से 32 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक रहा।
जिले के किसान हरकचन्द दांगी का कहना था कि वह तीस कट्टे लहसून लेकर आया था। उसे 13 हजार रुपए प्रति क्विंटल भाव की उम्मीद थी, लेकिन 9800 रुपए प्रति क्विंटल ही बिक पाया। प्रेमचन्द सुमन ने बताया कि वह 15 हजार रुपए तक भाव की उम्मीद लेकर आया था, लेकिन 8700 रुपए में बेचना पड़ा।
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सब्जी मंडी व्यापारी अनिस चौधरी ने बताया कि अभी जो नया लहसुन आ रहा है,उसमें नमी की मात्रा अधिक है। इस कारण भाव कम मिल रहे है। अप्रैल से मंडी में लहसुन की अच्छी आवक होगी। गर्मी होने से इसकी गुणवत्ता में भी सुधार होगा। वही क्वालिटी में भी सुधार होगा।
लहसुन व्यापार संघ के अध्यक्ष जगदीश बंसल के अनुसार हाड़ौती का लहसुन देश भर में जाता है। यहां कई प्रदेशों से व्यापारी खरीद के लिए आते है। यहां लगी यूनिटों में लहसुन की ग्रिडिंग कर दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडू जाता है। अभी औसत भाव 5 से 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है, भविष्य में इसमें तेजी की उम्मीद है।
लहसुन की फसल में काफी लागत आती है। इसमें करीब 8 से 9 बार सिंचाई करनी पड़ती है। जिले में इस बार 33हजार हैक्टेयर में लहसुन की बुवाई हुई है। जिले में इसबार करीब एक लाख 70 हजार मैट्रिक टन लहसुन का उत्पादन होने की उम्मीद है। अभी तक किसानों को अच्छा भाव मिल रहा है।
– कैलाश चन्द शर्मा, सहायक निदेशक, उद्यान विभाग,झालावाड़।