जौनपुर. बाहुबली धनंजय सिंह की भाजपा में जाने की अटकलों को एक बार फिर बल मिलता दिख रहा है। भले ही काफी कोशिशों के बावजूद उन्हें भाजपा में इंट्री न मिली हो, लेकिन उनकी पत्नी अब भाजपाई हो चुकी हैं। अटकलें लगायी जा रही हैं कि उनके बाद बाहुबली की भाजपा में बैकडोर से इंट्री आसान हो सकती है। 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी ज्वाइन करने का उनका सपना शायद अब पूरा हो सकता है। धनंजय की पत्नी श्रीकला रेड्डी ने रविवार को हैदराबाद में अपने समर्थकों के साथ जेपी नड्डा के हाथों भाजपा की सदस्यता ले ली।
इसे भी पढ़ेंयूपी के इस बाहुबली की पत्नी ने थामा भाजपा का दामन, लड़ेंगी चुनावधनंजय सिंह और उनकी पत्नी श्रीकला रेड्डी (फाइल फोटो) IMAGE CREDIT: 2009 के बाद मिल रही लगातार हार और देश में भारतीय जनता पार्टी और मोदी की बढ़ती लोकप्रियता के बाद यह चर्चा चल निकली कि धनंजय सिंह भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं। 2019 के चुनाव में उन्हें जौनपुर से टिकट मिलने की अटकलें भी लगीं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इतना ही नहीं उनके भाजपा में जाने की अटकलों को तब और बल मिला जब धनंजय सिंह 2019 चुनाव के पहले जौनपुर में वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के गुरू दक्षिणा कार्यक्रम मे पहुंच गए और वहां संघ के बड़े नेताओं का आशीर्वाद लिया। हालांकि बावजूद इसके 2019 में बीजेपी में उनकी इंट्री नहीं हो पायी। अब भले उनके परिवार की बीजेपी में इंट्री के बाद अटकलें लगायी जा रही हैं कि इसी रास्ते धनंजय की भी शायद बीजेपी में इंट्री हो जाए।
कौन हैं धनंजय सिंह बताते चलें जरायम की दुनिया से राजनीति में कदम रखने वाले बाहुबली धनंजय सिंह पॉलिटिक्स में बड़ा नाम हैं। उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी 2002 में जौनपुर की रारी विधानसभा (अब मल्हनी) से पहली बार लोक जन शक्ति पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर की थी। पहला चुनाव वह जीत नहीं पाए। 2007 में धनंजय सिंह ने रारी विधानसभा से ही किस्मत आजमायी, पर इस बार पार्टी बदल दी और जनता दल युनाइटेड के टिकट पर विधायक चुन लिये गए। 2008 में वह बसपा में शामिल हो गए और 2009 का लोकसभा चुनाव बसपा के टिकट पर जीतकर पहली बार संसद पहुंचे। पर इसके बाद धनंजय सिंह कोई चुनाव नहीं जीत सके। 2012 में अपनी दूसरी पत्नी डॉ. जागृति सिंह को पुरानी सीट मल्हनी (पहले रारी) विधानसभा से चुनाव लड़ाया, लेकिन वहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2014 की मोदी लहर में धनंजय सिंह ने जौनपुर से लोकसभा चुनाव में फिर किस्मत आजमायी, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2017 में फिर लोकसभा छोड़कर विधानसभा का रुख करना चाहा और मल्हनी विधानसभा से चुनाव लड़े लेकिन हार ने उनका पीछा नहीं छोड़ा।