इसके बाद भी मतदान दलों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्थानीय हाथी मित्र दल और वन रक्षकों को हाथियों की हलचल पर विशेष नजर रखने और उनका लोकेशन साझा करने की सख्त हिदायत दी गई है। उन्होंने बताया कि हाथियों की सूचना को पुलिस, सुरक्षा बलों और जिला प्रशासन के साथ तत्काल साझा किया जा रहा है ताकि, मतदान दलों की सुरक्षा सुनिश्चित किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि ओडिशा और झारखंड की अंर्तराज्यी सीमा में स्थित जशपुर जिले के 8 में से 4 ब्लाक घोर हाथी प्रभावित क्षेत्र हैं। इन चार ब्लाकों में जिले के तीनाें विधान सभा क्षेत्र जशपुर, कुनकुरी और पत्थलगांव विस्तृत है। घने जंगल के बीच स्थित गांवों में शाम के समय हाथी, सड़को में निकल आते हैं। ऐसे में इन सड़कों में चलना खतरनाक हो सकता है। जानकारों के अनुसार हाथियों की हलचल की रियल टाइम सूचना प्राप्त करना वन विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। फिलहाल विभाग के पास ट्रेकिंग डिवाइस की सुविधा उपलब्ध नहीं है। विभाग ने 2019 में गौतमी हाथी दल की मादा हाथी को ट्रेकिंग डिवाइस पहनाया था। लेकिन 2020 में कोरोना के समय इसका बेल्ट टूट कर गिर गया था। इसके बाद से विभाग हाथियों की सूचना प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से मानवीय संसाधनों पर ही निर्भर है।
बताया जा रहा है कि इन मतदान दलों के आस पास 5-5 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। मतदान केंद्रों और मतदान कर्मियों को उनसे सुरक्षा देने के लिए वन वी 8 भाग की टीम मौजूद है। ठंड के समय अक्सर इस क्षेत्र में हाथियों का जमावड़ा हो ही जाता है। धान की फसल कटने के समय हाथियों को रोकने के लिए भी वन विभाग की टीम तैनात करना होता है। हालांकि दिन में हाथी रिहायशी इलाके में कम ही आते हैं, लेकिन मतदान के दिन होने के कारण सतर्कता जरूरी है, जिसे देखते हुए मतदान केंद्रों में वन विभाग की टीम भी तैनात की गई है।
वन विभाग की टीम भी तैनात जानकारी के मुताबिक कुनकुरी विधानसभा क्षेत्र के फरसाबहार के पेरवाआरा, अंकिरा, बाबुसाजबहार, सिंगीबहार, गारीघाट और सेमरताल के मतदान के केंद्रों पर हाथियों के आने की खबर आ रही है। चुनाव कराने पहुंचे मतदान दलों को हाथियों से सुरक्षित रखने के लिए वन विभाग की टीम को मौके पर तैनात कर दिया गया है।