अबूधाबी से लिया प्रशिक्षण
जानकारी के अनुसार गोडावण के कृत्रिम गर्भाधान का यह अनोखा विचार अबूधाबी से आया। वहां इंटरनेशनल फंड फॉर हुबारा कंजर्वेशन फाउंडेशन में तिलोर पक्षी पर इस तरह का सफल परीक्षण किया गया। जिसके बाद भारत से वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक गत वर्ष वहां गए और इस तकनीक का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद गोडावण में कृत्रिम गर्भाधान के लिए प्रयास शुरू किए गए। इस पद्धति में नर गोडावण के सामने एक कृत्रिम मादा रखी जाती है और उसे मेटिंग के लिए प्रशिक्षित किया जाता है जिससे वह स्पर्म दे सके। नर गोडावण को इस तरह का प्रशिक्षण देने में 8 माह का समय लगा। गौरतलब है कि जैसलमेर का डेजर्ट नेशनल पार्क गोडावण संरक्षण की दशकों पुरानी कवायद का हिस्सा है। यहां पर गोडावण के रहने व उनके प्रजनन की अनुकूल परिस्थितियां हैैं। इसके अलावा जिले में दो ब्रीडिंग सेंटर रामदेवरा व सुदासरी में बनाए गए हैं।बड़ी उपलब्धि हासिल हुई
जैसलमेर में गोडावण संरक्षण परियोजना के तहत बड़ी उपलब्धि हासिल की गई है। यहां कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से पहली बार गोडावण का चूजा पैदा करने में कामयाबी मिली है। यह हम सभी के लिए बहुत बड़ी खुशी की बात है।- डॉ. आशीष व्यास, डीएफओ, डीएनपी, जैसलमेर