दावेदारों ने जयपुर से दिल्ली तक दौड़ाए घोड़े
-नियुक्तियों की बेला में राजनीतिक सरगर्मियां तेज-कांग्रेस जिलाध्यक्ष और अन्य पदों पर सप्ताह भर में ऐलान होने के संकेत
दावेदारों ने जयपुर से दिल्ली तक दौड़ाए घोड़े
जैसलमेर. सीमावर्ती जिले के ऐसे कांग्रेसजन इन दिनों सक्र्रिय दिखाई दे रहे हैं, जिनकी दावेदारी सत्ता और संगठन से जुड़े पदों पर है। ऐसे नेता व कार्यकर्ताओं ने प्रदेश से लेकर देश की राजधानी तक अपनी बिसात बिछाने का काम पूरा कर लिया है। दरअसल, प्रदेश भर में कांग्रेसजनों को संतुष्ट करने के लिए आलाकमान ने राजनीतिक और सांगठनिक नियुक्तियां शीघ्रताशीघ्र करने का निर्णय ले लिया है। इसके बाद से जिलों में कांग्रेस के संगठन प्रभारियों ने संबंधित विधायकों से उनकी पसंद के नामों की सूचियां लेकर प्रदेश व राष्ट्रीय आलाकमान तक पहुंचाने का काम कर दिया है। माना जा रहा है कि जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में जिलाध्यक्षों से लेकर अन्य अहम राजनीतिक नियुक्तियों का काम निपटा दिया जाएगा। इसे देखते हुए जिले के दोनों विधायक तो जयपुर-दिल्ली के सम्पर्क में हैं ही, अन्य स्थानीय स्तर के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भी विधायकों के साथ प्रदेश सरकार में अपने नजदीकी नेताओं व दिल्ली तक में संभावित मददगारों के सामने अपनी दावेदारी पेश कर दी है।
सबसे ज्यादा चर्चा में ये पद
जैसलमेर में सबसे ज्यादा जिन पदों को लेकर चर्चाओं का दौर चल रहा है, उनमें जिलाध्यक्ष की नियुक्ति शामिल है। करीब 11 महीनों से जिला संगठन बिना मुखिया के चल रहा है। जानकारी के अनुसार केबिनेट मंत्री व पोकरण विधायक शाले मोहम्मद तथा जैसलमेर विधायक रूपाराम धणदे से इस पद के लिए तीन-तीन नामों का पैनल लिया जा चुका है। इस बीच कयासों का दौर यह भी है कि जिले में पार्टी की कमान किसी राजपूत या ब्राह्मण समाज के व्यक्ति को सौंपी जा सकती है। तर्क यह दिया जा रहा है कि अल्पसंख्यक व मेघवाल समाज के विधायक निर्वाचित हैं। हालांकि निवर्तमान जिलाध्यक्ष गोविंद भार्गव की अपनी दावेदारी भी है। दोनों विधायकों के बीच आमराय नहीं बनने पर किसी अन्य समाज के एकदम अप्रत्याशित नाम की भी घोषणा पहले की भांति हो सकती है। इसी तरह से जैसलमेर यूआइटी अध्यक्ष का पद भी अनेक सक्रिय वरिष्ठ व युवा कार्यकर्ताओं के सपनों की मंजिल बना हुआ है। वैसे इसका फैसला मुख्यमंत्री के स्तर पर होता रहा है। इस बार केंद्रीय नेतृत्व से किसी नाम की सिफारिश जारी हो सकती है। बीस सूत्री कार्यक्रम उपाध्यक्ष जैसा जिलास्तरीय पद और कई अहम जिलास्तरीय सरकारी कमेटियों में सदस्यों का ऐलान भी सबकी बेसब्री का सबब बना हुआ है।
दिल्ली से जयपुर आएंगे नाम
जानकारी के अनुसार राजस्थान कांग्रेस में खींचतान के चलते इस बार संगठन व सत्ता से जुड़े जिलास्तरीय पदों पर मंथन दिल्ली में केंद्रीय स्तर पर भी होना है। वहां से नामों की सिफारिश प्रदेश नेतृत्व को की जाएगी। इसमें जयपुर कुछ नामों पर फेरबदल की सिफारिश भी कर सकता है। वैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति में मुख्यमंत्री की भूमिका हमेशा की भांति सबसे अहम मानी जा रही है।
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