अगर ट्रेन बीच रास्ते में रूक जाएगी तो, लोकोपायलट, यात्रियों को कारण बताएंगे। जिससे यात्री असमंजस में नहीं रहेंगे। रेलवे अधिकारियों के अनुसार यह ट्रेन अत्याधुनिक सुविधायुक्त ट्रेन है। यात्रियों को मनोरंजन के लिए लिए एलइडी व वाईफाई की सुविधा मिलेगी। सुरक्षा व संरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे, फायर अलार्म लगाए गए हैं।
खासबात है कि इसमें टॉक बैस फैसेलिटी होगी। जिसके तहत लोको पायलट, गार्ड अनाउंसमेंट करेंगे। यात्री को भी स्वास्थ्य या अन्य कोई इमरजेंसी में तुरंत मदद मिल जाएगी। चेन पुलिंग जैसी स्थिति नहीं रहेगी। इस ट्रेन के गेट भी मेट्रो ट्रेन की तरह ओटोमैटिक है। वे स्वत: ही खुल जाएंगे। उनपर कलर भी अलग किया गया है। इसकी सीटे भी फ्लाइट की तरह है, उनमें नंबर भी वैसे ही लिखे है। पीछे की सीटों को छोड़कर अन्य सीटे घूम सकेगी। विंडो और लगेज बॉक्स भी विशेष बनाए गए हैं।
52 सेकंड में पकड़ लेगी रफ्तार
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इसका तीन दिन का ट्रायल गुरुवार को पूरा हो गया है। संभवत: दस अप्रेल के आसपास यात्री इसमें सफर कर सकेंगे। इस दौरान ट्रेन को गांधीनगर, रेवाड़ी, दौसा समेत अन्य स्टेशनों पर रोका गया। ट्रायल में कोच के हिलने, कंपन, बाहर की आवाज आना समेत कई खामियां मिली है। जिसे दूर किया जाएगा। खासबात है कि यह ट्रेन महज 52 से 56 सेकंड में 110 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार पकड़ लेती है, जबकि अन्य ट्रेनों को दो से तीन मिनट लगते हैं।
पत्थर फेंका तो खैर नहीं
इस ट्रेन की सुरक्षा को लेकर रेलवे सुरक्षा बल भी अलर्ट हो गई है। आरपीएफ अधिकारियों का कहना है कि पत्थर फेंकते पाए जाने पर पांच साल की सजा का प्रावधान है। लोगों को जागरूक किया जा रहा है। बता दे, गत वर्ष जयपुर मंडल में ट्रेन पर पत्थर फेंकने के आठ मामले सामने आए थे।
अगर ट्रेन बीच रास्ते में रूक जाएगी तो, लोकोपायलट, यात्रियों को कारण बताएंगे। जिससे यात्री असमंजस में नहीं रहेंगे। रेलवे अधिकारियों के अनुसार यह ट्रेन अत्याधुनिक सुविधायुक्त ट्रेन है।
खासबात है कि इसमें टॉक बैस फैसेलिटी होगी। जिसके तहत लोको पायलट, गार्ड अनाउंसमेंट करेंगे। यात्री को भी स्वास्थ्य या अन्य कोई इमरजेंसी में तुरंत मदद मिल जाएगी। चेन पुलिंग जैसी स्थिति नहीं रहेगी।
इस ट्रेन के गेट भी मेट्रो ट्रेन की तरह ओटोमैटिक है। वे स्वत: ही खुल जाएंगे। उनपर कलर भी अलग किया गया है। इसकी सीटे भी फ्लाइट की तरह है, उनमें नंबर भी वैसे ही लिखे है।
खासबात है कि यह ट्रेन महज 52 से 56 सैकण्ड में 110 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार पकड़ लेती है, जबकि अन्य ट्रेनों को दो से तीन मिनट लगते हैं।