वहीं, अब इस मामले की संभागीय आयुक्त को जांच देने पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पहले मुझे जानकारी मिली की इसकी न्यायिक जांच होगी, अब पता चला है कि इसकी जांच संभागीय आयुक्त करेंगे। पता नहीं सरकार क्या चाहती है।
पायलट ने सरकार पर भी खड़े किए प्रश्न
दरअसल, जयपुर में
सचिन पायलट ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति हो, किसी भी प्रकार की हिंसा करते हैं, कोई भी कारण रहें अगर आक्रमण करते हैं तो मैं तो उसको गलत मानता हूं। आप अगर हिंसा का सहारा लेकर समर्थन मांगते हैं तो कोई आपका साथ नहीं देगा। मैं इसका खंडन करता हूं, लेकिन ये लागू होता है सरकार के उपर भी। पायलट ने कहा कि सरकार, प्रशासन और पुलिस ने गांववालों पर लाठियां, गोलियां बरसायी, इसकी जांच होनी चाहिए।
इस दौरान पायलट ने कहा कि
समरावता हिंसा पर पहले सुनने में आया कि न्यायिक जांच होगी, लेकिन अब कह रहे हैं कि संभागीय आयुक्त इसकी जांच करेंगे, पता नहीं सरकार क्या चाहती है। आगे उन्होंने कहा कि जांच इस बात की होनी चाहिए कि ये घटना क्या जानबूझ कर की गई, किसे फायदा पहुंचाने के लिए माहौल खराब किया गया?
सरकार से कई मांगों पर बनी सहमती
गौरतलब है कि मंगलवार को मंत्री बेढ़म के घर हुई बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किरोड़ी लाल मीणा ने बताया कि हमारा मन बन गया है, हम इनके हर तरह के नुकसान की भरपाई करेंगे। किरोड़ी लाल मीणा ने जानकारी दी कि 9 निर्दोष लोगों को छोड़ दिया गया है। कहा कि इस मामले की जांच संभागीय आयुक्त करेगा। जिससे कि सीमित समय में लोगों को न्याय मिल सके। इसके साथ समरावता सहित पांच ग्राम पंचायतों को देवली उपखंड से हटाकर उनियारा उपखंड में शामिल करने पर भी सहमति बन गई है।
ये था समरावता हिंसा मामला?
मालूम हो कि 13 नवंबर को उपचुनाव में वोटिंग के दिन देवली-उनियारा विधानसभा के समरावता गांव के लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया था। इसी दौरान निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने ग्रामीणों का समर्थन किया और उनके साथ धरने पर बैठ गए। इसी बीच नरेश मीणा ने SDM अमित चौधरी पर जबरदस्ती मतदान करवाने का आरोप लगाकर चांटा जड़ दिया था। इसके बाद यहां जबरदस्त हंगामा हुआ। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हुआ।
हंगामा बढ़ता देख नरेश मीणा ने अपने समर्थकों के साथ समरावता गांव में ही पड़ाव डाल दिया। इसी बीच नरेश मीणा ने समर्थकों से विवादित अपील करते हुए जेली-फावड़ों के साथ घटनास्थल पर इकठ्ठा होने का आह्वान भी किया। वहीं, देर रात पुलिस और गांववालों के बीच झड़प हो गई जो देखते ही देखते आगजनी में बदल गई। इस घटना में करीब बवाल में 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे, इनमें 10 पुलिसवाले भी शामिल थे। कई गाड़ियों-बाइको में आग लगा दी गई थी।