देवेंद्र सिंह राठौड़. देश की हिफाजत में तैनात जवान के लिए अब सरहद और घर की दूरियां मिट – सी गई हैं। वो घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर हों, पर चंद मिनट में परिजन के सुख-दुख की हर घड़ी को भी जी रहे हैं। वे वर्चुअल शादी-समारोह में जुड़ रहे हैं।इससे जवानों को अब घर की चिंता भी नहीं सता रही है। दरअसल, सेना के जवानों को छह-छह माह तक छुट्टी नहीं मिलती है। पूर्व में वे केवल पत्र या लैंड लाइन फोन के माध्यम से ही परिजन से बातचीत कर पाते थे। अब इंटरनेट तकनीक से वो रोजाना घरवालों से संवाद कर पाते हैं। बीवी, बच्चे, माता-पिता से वीडियो कॉल के जरिए बात कर पा रहे हैं। उनसे बातचीत करके परिजन भी अच्छा महसूस कर पा रहे हैं।
भारतीय सेना से रिटायर्ड सूबेदार भंवरसिंह शेखावत ने अपने सेना के दिन याद करते हुए बताया कि जब वो सेना में थे। उस वक्त उन्हें परिजन से बातचीत के लिए हर माह महज दो से चार अंतर्देशीय पत्र कार्ड (लेटर) मिलते थे। उनकी भी कमी रहती थी। कभी – कभार एक-दो ही मिलते थे। ऊधर, घर से लेटर आने में भी एक महीने तक समय लग जाता था। तब तक कल्पनाओं में ही जीते थे। यों कहें तो अब स्वर्णिम काल है। अब तो कितनी भी दूरी छोटी ही लगती है।
युवाओं में बढ़ा सेना में जाने का क्रेज…
सुविधाओं में विस्तार और बढ़ती तकनीक के चलते युवाओं में सेना में बहाल होने का क्रेज भी देखा जा रहा है। इसमें लड़का-लड़की दोनों शामिल हैं। एक दशक पूर्व जहां सेना में बतौर जवान भर्ती होने के लिए एकेडमी भी नहीं होती थी, लेकिन अब राजस्थान में 700 से ज्यादा डिफेंस एकेडमी है। अकेले जयपुर में 20 से 25 हैं। प्रत्येक एकेडमी में युवाओं की संख्या 100 से 250 तक है।